टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने सार्वजनिक वाईफाई ग्रिड का एक महत्वपूर्ण मॉडल रखा है. इसका मकसद इंटरनेट संपर्क की लागत में 90 प्रतिशत तक कमी लाना और देश में ब्राडबैंड के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना है. ग्रामीण इलाकों में ब्राडबैंड की पहुंच उपलब्ध कराने में भारत अन्य देशों से काफी पीछे है. इसी को ध्यान में रखते हुए ट्राई ने वाई फाई की सुविधा के नई छोटी कंपनियों को बढ़ावा देने की जरूरत बताई है. ट्राई ने जिस ग्रिड का प्रस्ताव रखा है उसमें कई कंपनियों के एक ही प्लेटफार्म पर साथ आकर पहुंच, सेवा व भुगतान जैसे पहलुओं का समाधान करना है.
वाई फाई सबसे सस्ता विकल्प
ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा, देश में ब्राडबैंड की पहुंच डिजिटल इंडिया का महत्वपूर्ण स्तंभ है. उपकरणों की कम लागत व नि:शुल्क स्पेक्ट्रम को देखते हुए वाई फाई सबसे सस्ता विकल्प है. ट्राई ने पुराने दिनों के पीसीओ की तर्ज पर पीडीओ पब्लिक डेटा ऑफिस प्रोवाइडर (PDO) का प्रस्ताव रखा है जो कि पैसा लेकर या नि: शुल्क वाई फाई हॉटस्पाट उपलब्ध करवाएंगे. ये पीडीओ कोई कंपनी या छोटे कारोबारी का भी हो सकता है.
रिपोर्ट दूरसंचार मंत्री को पेश की
ट्राई के प्रमुख ने पब्लिकली वाई फाई मुक्त प्रायोगिक परियोजना पर अपनी रिपोर्ट दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा को पेश की. इसमें नियामक ने इस दिशा में अपने परीक्षण के पहले चरण की सफलता का भी जिक्र किया है. नियामक ने अब इस दिशा में और आगे कदम बढाने का सुझाव दिया है. इससे देश में मौजूद स्टार्टअप कंपनियों को भी विकसित होने का बड़ा अवसर मिलेगा.
एक एमपी के लिए 2 पैसे खर्च होंगे!
ट्राई ने जो आंकड़े सरकार को सौंपे हैं उनमें कहा गया है कि इस समय प्रत्येक ग्राहक को औसतन 23 पैसे प्रति एमबी खर्च करना पड़ता है. आने वाले समय में यह 2 पैसे हो सकता है. सरकार की तरफ से बताए गए पीडीओ में जाकर यूजर फ्री में या फिर बहुत कम कीमत चुकाकर वाइफाई हॉटस्पॉट की मदद से इंटरनेट का प्रयोग कर सकेगा.
चेयरमैन आरएस शर्मा के अनुसार जो आदमी राउटर मैनेज करेगा, उसे PDO कहा जाएगा. जो 1 हजार राउटर्स को मैनेज कर सकेगा. उसे PDOA (पब्लिक डेटा ऑफिस एग्रीगेटर) कहा जाएगा. इसके अलावा जो एप्लीकेशन को डेवलप करेगा, उसे एप्लीकेशन प्रोवाइडर कहा जाएगा और इस तरह यह पूरा सिस्टम काम करेगा.