अगर BCCI ने नहीं मानी ये बात तो भारतीय खेलों को होगा बड़ा नुकसान....

अगर BCCI ने नहीं मानी ये बात तो भारतीय खेलों को होगा बड़ा नुकसान….

भारतीय क्रिकेटर्स द्वारा लगातार ड्रग टेस्ट में शामिल नहीं होने से भारतीय खेल में बड़ा संकट आ सकता है। बता दें कि वैश्विक स्तर के एथलीटों को ड्रग टेस्ट से गुजरना होता है ताकि ये पता चल सके कि वो किसी मादक पदार्थ का सेवन करके तो नहीं खेल रहे हैं क्योंकि इस पदार्थ से उन्हें अत्यधिक ऊर्जा मिलती है।अगर BCCI ने नहीं मानी ये बात तो भारतीय खेलों को होगा बड़ा नुकसान....आखिर क्यों.? तीसरे वन-डे से पूर्व विराट और धोनी ने नहीं की प्रैक्टिस..

वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को निर्देश देने के लिए पूछा है, जिसके अंतर्गत नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) को भारतीय क्रिकेटरों का ड्रग टेस्ट लेने की इजाजत हो।

ऐसा नहीं मानने पर नाडा अपनी मान्यता वाडा से गंवा सकता है। यह धमकी जो भारतीय खेलों में बड़ा संकट रच सकती है। दरअसल, वाडा ने एक पत्र खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर को लिखा है, जिसमें ये बात लिखी गई है।

अगर नाडा अपनी मान्यता वाडा कोड से गंवाता है तो इससे भारतीय खेलों को डोपिंग के खिलाफ लड़ने से मुश्किल होगी और उसके वैश्विक खेलों में हिस्सा लेने पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के पास वाडा से मान्यता प्राप्त कोई एजेंसी नहीं होगी जो उसके एथलीटों का परीक्षण कर सके।

वाडा के डायरेक्टर जनरल ओलिवर निगली ने लिखा चेतावनीभरा पत्र

वाडा के डायरेक्टर जनरल ओलिवर निगली ने पत्र में चेतावनी दी है, ‘विश्व इकाई खेल मंत्रालय की ‘आकस्मिक मदद’ से बीसीसीआई के साथ डोपिंग विरोधी मामले को सुलझाना चाहता है और ये भरोसा दिलाना चाहता है कि नाडा क्रिकेट में बीसीसीआई की मदद से डोपिंग विरोधी कार्यक्रम लागू कर सके। इस सहयोग के बिना भारत की नाडा इकाई पर वाडा कोड के साथ अपनी मान्यता खोने का खतरा मंडराने लगेगा क्योंकि परीक्षण का कार्यक्रम फिर पूरी तरह प्रभावी नहीं होगा।’

निगली ने साथ ही लिखा, ‘हम इस मामले पर गौर करने के लिए आईसीसी की भी मदद लेंगे। हमारी यह समझ है कि नाडा के डोपिंग विरोधी नियम भारत के सभी खेलों के पूर्ण अधिकार क्षेत्र और अधिकार देते हैं।’

वाडा कोड एक मुख्य दस्तावेज है जो खेल संगठनों के भीतर डोपिंग विरोधी नीतियों, नियमों और नियमों के अनुरूप है और दुनिया भर में सार्वजनिक प्राधिकरणों के बीच है। यह कोड पहले 2003 में ग्रहण किया गया, फिर 2004 में प्रभावी हुआ और फिर 1 जनवरी 2009 में संशोधित हुआ।

दरअसल, वाडा को इस मामले में इसलिए हस्तक्षेप करना पड़ा क्योंकि इस वर्ष अप्रैल में नाडा ने डोपिंग विरोधी कार्यक्रम आयोजित किया और पाया कि बीसीसीआई ने न तो नाडा के अधिकारियों को पहचाना और नहीं ही उन्होंने वाडा से मान्यता प्राप्त इकाई को क्रिकेट में डोपिंग विरोधी व्यवस्था लागू करने की इजाजत दी।

राठौर ने निगली का पत्र पाने के बाद पूर्व खेल सचिव इंजेती श्रीनिवास को निर्देश दिए हैं कि वो बीसीसीआई अधिकारियों से इस मामले पर विचार करें। 

बीसीसीआई को भी लिखा गया पत्र

श्रीनिवास ने इस महीने की शुरुआत में प्रशासक समिति (सीओए) के चेयरमैन विनोद राय और बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी को पत्र लिखकर कहा, कैबिनेट द्वारा स्वीकृत नाडा के डोपिंग विरोधी नियमों ने क्रिकेट सहित भारत के सभी खेलों में अपना पूरा प्राधिकरण और अधिकार क्षेत्र डोपिंग विरोधी उपायों को लागू करने का हक है।
इसलिए आप बीसीसीआई के सहयोग से भारत में क्रिकेट को देखते हुए हस्तक्षेप करे और नाडा को डोपिंग विरोधी कार्यक्रम लागू करने की सुविधा उपलब्ध कराए। इसकी गैरमौजूदगी में नाडा का वाडा कोड से मान्यता गंवाने का संकट होगा। आपके (राय) समर्थन से हम बीसीसीआई के असहयोगी मौजूदा परिस्थिति को सुधार पाएंगे और नाडा को वाडा कोड से मान्यताप्राप्त रख सकेंगे।’

बीसीसीआई ने पिछले कुछ महीनों से इस मामले में मंत्रालय और नाडा के संचार को नजरंदाज किया है। बीसीसीआई ने निजी डोप परीक्षण से करार किया है जो क्रिकेटर्स के खून और मूत्र का सैंपल लेते हैं। बीसीसीआई जिस इंटरनेशनल डोप टेस्ट्स और मैनेजमेंट के साथ है, उसे नाडा से मान्यता नहीं मिली है।

 

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