राजस्थान के बहुचर्चित अजमेर ब्लास्ट मामले में शनिवार को एनआईए की विशेष अदालत दोषियों को सजा सुनाएगी. करीब 9 साल पहले हुए इस धमाका मामले में कोर्ट ने 8 मार्च को भावेश पटेल, देवेंद्र गुप्ता और सुनील जोशी (मृतक) को दोषी करार दिया था. साथ ही कोर्ट ने स्वामी असीमानंद समेत सात को संदेश का लाभ देते हुए बरी कर दिया था. 16 मार्च की सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोषियों को सजा देने के लिए 18 मार्च की तारीख तय की थी.
क्या है मामला
11 अक्टूबर 2007 को राजस्थान के अजमेर स्थित सूफी ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के अहाता-ए-नूर के पास शाम करीब 6 बजे रोजेदार रोजा खोलने जा रहे थे. इस दौरान वहां जोरदार बम धमाका हुआ, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 15 अन्य घायल हुए थे. ब्लास्ट के लिए दरगाह में दो रिमोट बम प्लांट किए गए थे. लेकिन इनमें से एक ही फटा जिससे भारी जनहानि नहीं हुई.
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ब्लास्ट से फैसले तक के आंकड़े
442 दस्तावेज साक्ष्य पेश किए गए.
149 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए.
38 दस्तावेजी साक्ष्य पेश बचाव पक्ष की तरफ से पेश किए गए.
2 गवाहों के बयान बचाव पक्ष की तरफ से दर्ज करवाए गए.
4 चार्जशीट पूरे मामले में पेश की गई (एक चार्जशीट एटीएस और तीन चार्जशीट
एनआईए द्वारा प्रस्तुत की गई).
2011 में शुरू हुई सुनवाई.
6 फरवरी 2017 को अंतिम बहस.
26 गवाह पक्षद्रोही साबित हुए( ये सभी गवाह एनआईए के लिए महत्वपूर्ण गवाह थे)
8 मार्च, 2017 को अजमेर दरगाह विस्फोट मामले में असीमानंद समेत 7 बरी, 3 दोषी करार
16 मार्च, 2017 को दोषियों को सजा का एलान 18 मार्च तक टला.
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