बात 25 अप्रैल 1982 की है जब स्वामी सहजानंद की प्रतिमा के अनावरण व दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने बाजपेयी जी आए थे। स्वामीनाथ तिवारी के अनुसार कार्यक्रम से पूर्व बाजपेयी जी को गांव में बनी लिट्टी परोसी गई थी।
अगले दिन जब वाजपेयी जी वापस दिल्ली लौटने लगे तो उन्होंने आयोजकों से कहा ऐसे बात नहीं बनेगी, मुझे बक्सर की लिट्टी भी चाहिए। तब उनको सिमरी से लिट्टी बनवाकर दी गई। वे ब्रह्मपुर में बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ के दर्शन करने भी गए थे।
नैनीजोर गांव के लिए अटल जी ने बदलवाया था बांध का नक्शा
गंगा तट पर बसे बक्सर को बाढ़ से सुरक्षित रखने के लिए बने बक्सर-कोइलवर तटबंध से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजापेयी की यादें जुड़ी हैं। तटबंध के पहले बने एलाइनमेंट में नैनीजोर समेत कई गांव बाहर थे। पार्टी विधायक डॉ. स्वामीनाथ तिवारी के अनशन पर बैठने पर अध्यक्ष की हैसियत से अटल जी का पत्र उनके पास आया।
उन्होंने लिखा कि आपकी मांग सही है और तटबंध का नक्शा बदलेगा। इसके बाद उन्होंने सरकार से बात की और कहा कि बांध गांव बचाने के लिए बनाया जा रहा है या डुबाने के लिए। उनके दबाव में बांध के नक्शे में परिवर्तन हुआ और नैनीजोर सुरक्षित हुआ।
अटल जी सहृदय तो थे ही लेकिन बक्सर का उनके दिल में खास स्थान था। पूर्व विधायक स्वामीनाथ तिवारी ने बताया कि अस्सी के दशक में अर्जुनपुर का एक युवक राकेश दिल्ली शिक्षा विभाग का साक्षात्कार देने गया। दुर्भाग्य से ट्रेन में ही उसकी अटैची चोरी हो गई। एडमिट कार्ड व पैसे भी उसी में थे।
 TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
				 
						
					