कोलकाता। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत को लेकर हमेशा ही रहस्य बना रहा है। लेकिन रविवार को उनके परपोते आशीष रे ने दावा किया कि नेताजी की मौत 1945 में ताइवान के विमान हादसे में हो गई थी।
रे के अनुसार उनके पास ऐसे सबूत हैं जो इस बात को साबित करते हैं और उन्हें नकारा नहीं जा सकता। इसके साथ ही उन्होंने इस बात की मांग की कि रेंकोजी मंदिर में रखी नेताजी की अस्थियों को भारत लाया जाए और संभव हो तो उनका डीएनए टेस्ट करवाया जाए।
आशीष ने दवा किया कि ऐसी तीन रिपोर्ट्स हैं जो इस बात का सबूत पेश करती हैं कि नेताजी की मौत 1945 में हो गई थी और उन्हें सोवियत यूनियन पहुंचने का मौका ही नहीं मिला। इनमें से दो रिपोर्ट जापानी सरकार की हैं और एक अन्य रिपोर्ट रूसी स्टेट की है।
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रे ने कहा कि नेताजी कभी यूएसएसआर(यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक) में कभी कैदी नहीं रहे। उन्होंने आगे कहा कि हालांकि नेताजी रूस जाने का प्लान बना रहे थे क्योंकि उनका मानना था कि रूस जो कि एक कम्यूनिस्ट स्टेट है वो उनके भारत को अग्रेजी शासन से आजाद करने की कोशिशों का समर्थन करेगा।
रे के अनुसार नेताजी को लगता था कि जापान उन्हें नहीं बचा पाएगा क्योंकि उसने खुद ने सरेंडर कर दिया था। उन्हें आशंका थी कि सोवियत यूनियन में उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है लेकिन फिर वो इस बात पर अड़े रहे कि वो भारत को आजाद करवाने के लिए सोवियत यूनियन को समझा सकेंगे।
नेताजी की मौत पर अलग-अलग मतों को लेकर रे ने कहा कि मैं समझता हूं लोगों का नेताजी से भावनात्मक रिश्ता है लेकिन सच को नकारा नहीं जा सकता।
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