पूजा अर्थात किसी भगवान को प्रसन्न करने हेतु हमारे द्वारा उनका अभिवादन। यह दैनिक जीवन का शांतिपूर्ण तथा महत्वपूर्ण कार्य है। हिंदू धर्म में पूजा करना संस्कृति का एक अभिन्न अंग माना जाता है। अक्सर देखने में आता है कि लोग अपने पूजा घरों में विभिन्न देवी-देवताओं के कई प्रतिमाएं का स्थापित कर लेते हैं। हालांकि ये उनकी श्रद्धा का विषय है लेकिन हमारे शास्त्रों में प्रत्येक गृहस्थ के लिए पांच देवों की पूजा का नियम बताया गया है। जिसे ‘पंचायतन’ कहा जाता है।
सनातन धर्म में “पंचायतन” पूजा श्रेष्ठ मानी गई है। ये पांच देव हैं- गणेश, शिव, विष्णु, दुर्गा (देवी) व सूर्य। शास्त्रानुसार प्रत्येक गृहस्थ के पूजागृह में इन पांच देवों के विग्रह या प्रतिमा होना अनिवार्य है। इन 5 देवों के विग्रहों को अपने ईष्ट देव के अनुसार सिंहासन में स्थापित करने का भी एक निश्चित क्रम है। आइए जानते हैं किस देव का पंचायतन सिंहासन में किस प्रकार रखा जाता है।
जिस किसी के भी ईष्ट भगवान गणेश हों तो वह अपने पूजागृह में “गणेश पंचायतन” की स्थापना कर सकता है। इसके लिए आप सिंहासन के ईशान कोण में विष्णु, आग्नेय कोण में शिव, मध्य में गणेश, नैर्ऋत्य कोण में सूर्य एवं वायव्य कोण में देवी विग्रह को स्थापित करें।
शिव पंचायतन
यदि आपके ईष्ट शिव हैं तो आप अपने पूजागृह में ‘शिव पंचायतन’ की स्थापना करें। इसके लिए आप सिंहासन के ईशान कोण में विष्णु, आग्नेय कोण में सूर्य, मध्य में शिव, नैर्ऋत्य कोण में गणेश एवं वायव्य कोण में देवी विग्रह को स्थापित करें।
विष्णु पंचायतन
यदि आपके ईष्ट विष्णु हैं तो आप अपने पूजागृह में ‘विष्णु पंचायतन’ की स्थापना करें। इसके लिए आप सिंहासन के ईशान कोण में शिव, आग्नेय कोण में गणेश, मध्य में विष्णु, नैर्ऋत्य कोण में सूर्य एवं वायव्य कोण में देवी विग्रह को स्थापित करें।
देवी दुर्गा पंचायतन
यदि आपकी ईष्ट देवी दुर्गा हैं तो आप अपने पूजागृह में ‘देवी पंचायतन’ की स्थापना कर सकत हैं। इसके लिए आप सिंहासन के ईशान कोण में विष्णु, आग्नेय कोण में शिव, मध्य में देवी दुर्गा, नैर्ऋत्य कोण में गणेश एवं वायव्य कोण में सूर्य विग्रह को स्थापित करें।
सूर्य पंचायतन
यदि आपके ईष्ट सूर्यदेव हैं तो आप अपने पूजागृह में ‘सूर्य पंचायतन’ की स्थापना करें। इसके लिए आप सिंहासन के ईशान कोण में शिव, आग्नेय कोण में गणेश, मध्य में सूर्य, नैर्ऋत्य कोण में विष्णु एवं वायव्य कोण में देवी विग्रह को स्थापित करें।