उत्तर प्रदेश पुलिस ने सोमवार को अपराधों में शामिल बच्चों के मामलों की संवेदनशीलता पर न सिर्फ गंभीरता से विचार किया, बल्कि इसके लिए कार्ययोजना भी तय की। पुलिस अब जघन्य अपराधों में शामिल बच्चों के खिलाफ ही एफआइआर दर्ज करेगी। पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने इस मौके पर अधिकारियों से कहा कि किशोर अपराध से जुड़े मामले बहुत महत्वपूर्ण हैैं और मनोवैज्ञानिक तथ्यों को केंद्र में रखते हुए ही इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
किशोर न्याय अधिनियम-2015 (जेजे एक्ट) के तहत बच्चों से सम्बंधित प्रकरणों को हैंडल करने के लिए सोमवार को राजधानी के एक होटल में आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में कई विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किए। यह कार्यशाला महिला सम्मान प्रकोष्ठ/वूमेन पॉवर लाइन- 1090 द्वारा यूनीसेफ के सहयोग से आयोजित की गई थी। इसमें लखनऊ के 22 थानों में नियुक्त बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों, संबंधित थानाध्यक्ष, क्षेत्राधिकारी व अपर पुलिस अधीक्षको को प्रशिक्षित किया गया।
पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने चिंता जताई कि बच्चों के मामले हैैंडिल करने में संवेदनशीलता की कमी देखने को मिल रही है। इसके लिए वूमेन पॉवर लाइन-1090, महिला सम्मान प्रकोष्ठ व डायल-100 को समन्वित तरीके से काम करना होगा।
यूनिसेफ के बाल संरक्षण विशेषज्ञ आफताब मोहम्मद ने थानों में नियुक्त सभी बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को सीयूजी नम्बर उपलब्ध कराने का सुझाव दिया। इसके साथ ही ऐसे मामलों के लिए हेल्पलाइन शुरू करने पर जोर दिया। इससे पहले लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने विशेष किशोर पुलिस इकाई के कार्यों की जानकारी दी।
कार्यशाला में एडीजी अंजू गुप्ता, यूनिसेफ के स्टेट कंसल्टेंट जावेद अंसारी, नई दिल्ली से आए अधिवक्ता अंनत अस्थाना, डीजीपी कार्यालय के पीआरओ राहुल श्रीवास्तव आदि अधिकारी शामिल रहे। संचालन पुलिस उपाधीक्षक साधना सिंह ने किया।
जेजे एक्ट के तहत कार्यशाला के निष्कर्ष
-प्रथम सूचना रिपोर्ट तभी पंजीकृत होगी जब अपराध जघन्य हो
-सामान्य मामलो में अपराध की सूचना साधारण दैनिक डायरी में लिखेंगें।
-बालक को हवालात में नहीं भेजेंगे।
-बालक को हथकड़ी या जंजीर नहीं पहनायेंगें।
-बालक पर किसी भी प्रकार के दबाव या बल का प्रयोग नहीं करेगा।
-24 घंटे के भीतर बालक को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा।
-बच्चे के गुमशुदा होने पर तत्काल एफआइआर
-गुमशुदा बच्चे की फोटो निर्धारित पोर्टलों पर अपलोड होगी।
-चार माह के भीतर बच्चे का पता न लगने पर मामला एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को
-मिलने पर 24 घंटे में ऐसे बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जाएगा
-बच्चों से बातचीत के दौरान सादे कपड़ों में रहेगी पुलिस
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