नई दिल्ली : 9 नवंबर से 1000 और 500 रुपये के पुराने नोटों को बंद कर नए 2000 और 500 रुपये नोट जारी किए गए हैं और लोग इन्हें बदलने के लिए कई तरह की परेशानियों से जूझ रहे हैं।
बैंकों और एटीएम पर लंबी कतारें लगी हैं। लोग सुबह से लाइन में खड़े रहते हैं लेकिन फिर भी उनका काम पूरा नहीं हो पा रहा है। इसी स्थिति से निपटने के लिए और लोगों की परेशानियों को कम करने के लिए सरकार ने दो लाख माइक्रो एटीएम के जरिए लोगों को राहत पहुंचाने की कोशिश की है। बताया जा रहा है कि इन माइक्रो एटीएम से हर हफ्ते करीब 70,000 ट्रांजेक्शंस हो सकते हैं।
क्या है माइक्रो एटीएम
माइक्रो एटीएम असल में कार्ड स्वाइप मशीन है। शॉपिंग के दौरान आप क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड स्वाइप कराकर भुगतान करते होंगे। इस मशीन में भी आप कार्ड स्वाइप करके अपने बैंक खाते से पैसा निकाल सकते हैं। हालांकि इस मशीन का काम साधारण स्वाइप मशीन से काफी ज्यादा है। यह मशीन जीपीआरएस के जरिए बैंक के सर्वर से जुड़ी रहती है। कुछ मशीनों में फिंगरप्रिंट सेंसर भी लगा होता है।
कैसे निकलते हैं पैसे?
इससे पैसे निकालने के लिए अपने कार्ड को स्वाइप करके उस स्वाइप मशीन जैसे दिखने वाले माइक्रो एटीएम में पिन डालना होता है। इसके बाद जितनी राशि आप निकालते हैं वो आपके अकाउंट से कट जाती है। हालांकि, माइक्रो एटीएम के मामले में पैसे मशीन से नहीं निकलते, बल्कि बैंक का जो प्रतिनिधि आपके पास उस मशीन को लेकर गया होता है, वही आपको पैसे देता है।
कहां उपयोगी
माइक्रो एटीएम ग्रामीण और उन दूर-दराज के इलाकों के लिए बेहद उपयोगी है, जहां बैंक और एटीएम की सुविधा नहीं है। यहां बैंक मित्र इस माइक्रो एटीएम के साथ पहुंचकर जरूरतमंद लोगों को उनके घर के पास जाकर कैश उपलब्ध कराते हैं। इसके तहत एक तरह से बैंक खुद आपके घर आकर आपको कैश थमा जाता है।
कहां हो सकती है दिक्कत
माइक्रो एटीएम बैंकिंग सिस्टम से जरूर जुड़ा है, लेकिन यह एटीएम नहीं है। माइक्रो एटीएम के साथ एक बैंक कर्मचारी या बैंक मित्र कैश लेकर ग्राहक तक पहुंचता है और उपभोक्ता को कैश मुहैया कराता है। ऐसे में कैश की उपलब्धता कम ही रहती है। इसके अलावा कैश लेकर सफर करना बैंक मित्र के लिए भी असुविधा का सबब हो जाता है।