तमाम कोशिशों के बावजूद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर न तो मुलायम सिंह यादव झ़के और न ही अखिलेश यादव। सुलह के सारे प्रयास विफल रहने के बाद सपा के दोनों धड़े अब निर्वाचन आयोग में दो-दो हाथ करेंगे।
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सपा के कई वरिष्ठ नेता शनिवार को भी इस कोशिश में लगे रहे कि पार्टी में फिर एका हो जाए। इसके लिए दिनभर मुलायम व अखिलेश से नेताओं के मिलने का सिलसिला जारी रहा।
माता प्रसाद पांडेय, आजम खां, धर्मेन्द्र यादव, कोषाध्यक्ष संजय सेठ समेत कई नेताओं ने उनसे मिलकर रास्ता निकालने की कोशिश की। देर शाम तक इसका कोई सार्थक नतीजा सामने नहीं आया।
मुलायम अध्यक्ष पद से हटने को तैयार नहीं
असल मसला राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर फंसा हुआ है। मुलायम अध्यक्ष पद से हटने को तैयार नहीं है जबकि अखिलेश विधानसभा चुनाव तक खुद अध्यक्ष पद चाहते हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि मुलायम ने तीन माह केलिए अध्यक्ष पद सौंपने के अखिलेश के प्रस्ताव को सिरे से ठुकरा दिया है। वह राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को छोड़कर अन्य सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार हैं।सम्पति की लालच में की गयी थी विनोद व शुभम की हत्या
उधर, सीएम खेमा इस बात पर अड़ा है कि अखिलेश को अध्यक्ष बनाए बिना सुलह का रास्ता नहीं निकलेगा। उनका कहना है कि राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्हें अध्यक्ष चुना जा चुका है, पार्टी के 90 फीसदी लोग उनके साथ हैं, विधायकों, सांसदों का समर्थन उनके साथ है। इसलिए वहीं पार्टी अध्यक्ष हैं।
आयोग के फैसले को कोर्ट में दे सकते सकते हैं कोर्ट
निर्वाचन आयोग के फैसले से यदि कोई पक्ष संतुष्ट नहीं है तो उसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है। अदालत से सिंबल के इस्तेमाल पर तात्कालिक तौर पर रोक लगाने की मांग भी की जा सकती है।
मुलायम अकेले, अखिलेश गठबंधन करके लड़ेंगे चुनाव
फिलहाल सपा के दोनों खेमों ने अलग-अलग चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। संभावना यह है कि मुलायम सभी 403 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे।
इस खेमे ने उम्मीदवारों की तलाश शुरू कर दी है। वहीं अखिलेश खेमा कांग्रेस व राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन कर सकता है। वे कांग्रेस व रालोद के लिए 130 सीटें छोड़ सकते हैं। गठबंधन पर 9 जनवरी के बाद मुहर लगेगी।चुनाव आयोग ने इसी तारीख तक दोनों पक्षों से अपने-अपने समर्थन में हलफनामे और दस्तावेज मांगे हैं।
ये फैसले कर सकता है निर्वाचन आयोग
1- भारत निर्वाचन आयोग तय करेगा कि राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन संविधान के अनुरूप हुआ या नहीं।
2- आयोग दोनों पक्षों को सुनने के बाद निर्णय देगा कि मुलायम सिंह सपा के अध्यक्ष या अखिलेश यादव।
3- जिस खेमे को असली समाजवादी पार्टी माना जाएगा, उसी को सिंबल मिलेगा। इस प्रक्रिया में समय लग सकता है।4- विधायकों, सांसदों व प्रतिनिधियों की संख्या बल के आधार पर अखिलेश खेमा अपना दावा मजबूत मान रहा है।
5- विवाद सुलझने में समय लगा तो सपा के साइकिल चुनाव चिह्न को फ्रीज किया जा सकता है।
6 सिंबल फ्रीज होने पर दोनों खेमों को अस्थायी तौर पर अलग-अलग गुटों के रूप में मान्यता देकर नए सिंबल दिए जा सकते हैं।