स्विट्जरलैंडः इन्सान का दिमाग पढ़ने वाली तकनीक पर वैज्ञानिक तेजी से काम कर रहे हैं। ताजा खबर यह है कि इस तकनीक के जरिए हैकर्स आपके दिमाग को हैक कर सकते हैं और वहां मौजूद जानकारियों (डेटा) को चुरा सकते हैं या डिलीट कर सकते हैं। जैसे-जैसे रिसर्चर्स इस तकनीक को पाने की दिशा में बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे नई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं।
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हैकिंग की यह आशंका उठने के बाद कहा जा रहा है कि नए कानून बनाने पड़ेंगे, जिससे लोगों की प्रायवेसी और दिमाग में दर्ज डेटा को होने वाले नुकसान की रक्षा की जा सके। स्विट्जरलैंड में पीएचडी के छात्र मार्सेलो लेंसा के मुताबिक, न्यूरोटेक्नोलॉजी की इस तकनीक से ‘दिमाग की आजादी’ खतरे में पड़ जाएगी। इसे बचाने के लिए बहुत सारे कानूनों की दरकार है।
वे आगे कहते हैं कि कोई किसी के विचारों को चोरी नहीं कर सकता और सोचने की आजादी को भी नहीं छीना नहीं जा सकता, लेकिन न्यूरल इंजीनिरिंंग, ब्रेम इमेजिंग और न्यूरो-टेक्नोलॉजी की आधुनिक तकनीक से यह खतरे में है!