मंगलवार का दिन भारतीय रुपये के लिए मंगलमय नहीं रहा। डॉलर के मुकाबले रुपया अपने 6 माह के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है, जिससे इकोनॉमी को नुकसान होने की आशंका है। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम आगे चलकर कम होंगे इस पर भी संशय बरकरार है।
अभी-अभी: SBI खाताधारकों के लिए आई बड़ी खुशखबरी, अकाउंट में मिनिमम बैलेंस की सीमा घटी
65.38 के स्तर पर पहुंचा
डॉलर के मुकाबले रुपया 65.38 पैसे के स्तर पर आ गया। सोमवार के मुकाबले मंगलवार को इसमें 28 पैसे की गिरावट देखी गई। सोमवार को भी रुपये में 31 पैसे की गिरावट देखी गई थी और यह 65.10 पैसे पर बंद हुआ था। इससे पहले इसी साल 24 मार्च को रुपया डॉलर के मुकाबले 65.41 पर बंद हुआ था।
रुपया गिरने का ये है प्रमुख कारण
रुपये के गिरने के प्रमुख कारण में यूएस फेड रिजर्व द्वारा दिसंबर में अपनी दरें बढ़ाने के संकेत हैं। इसके चलते विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मार्केट से डॉलर निकालना शुरू कर दिया है। बैंक भी डॉलर को बाहर निकाल रहे हैं।
उन्होंने उम्मीद जताई है कि आने वाली तिमाहियों में विश्व अर्थव्यवस्था में सुधार तथा अच्छे मानसून से जीडीपी विकास दर बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि देश यदि हम सालाना विकास लक्ष्य हासिल कर लेते हैं तो विकास दर भी सुधरने लगेगी।
उल्लेखनीय है कि आर्थिक सर्वे में वर्ष 2017-18 के दौरान विकास दर 6.75 फीसदी से बढ़कर 7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है।
पहली तिमाही में भी कमजोर थी जीडीपी
पहली तिमाही के कमजोर जीडीपी आंकड़े को चिंताजनक बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार इस आंकड़े में सुधार लाने के लिए नीतिगत और निवेश स्तर पर बेहतर काम करेगी। समग्र रूप से देखा जाए तो कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन सामान्य रहा है।
जबकि मैन्युफैक्चरिंग विकास दर 3.1 फीसदी से गिरकर 1.6 फीसदी हो जाने के कारण जीडीपी में यह गिरावट आई है। हालांकि सेवा और निवेश क्षेत्र की स्थिति सुधरी है लेकिन जीएसडी के कारण मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की विकास दर कमजोर पड़ी है।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features