अली को यह डिवाइस बनाने का आइडिया प्ले स्टोर पर मौजूद “वाइफाइ टॉकी एप” से मिला। इस एप की मदद से एक निश्चित दायरे में ही आपस में बात की जा सकती है। अली ने दायरा बढ़ाने के लिए वाइफाइ का इस्तेमाल कर डिवाइस तैयार दी। लोगों के मोबाइल का मैक एड्रेस (मीडिया एक्सेस कंट्रोल) डिवाइस में सुरक्षित किया जाएगा, जिससे उसकी पहचान होगी। कॉल करने, डाटा शेयर करने के लिए दूसरे व्यक्ति के स्मार्ट फोन में भी एप्लीकेशन होना आवश्यक है।

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“शेयर इट” की तरह इसमें भी डाटा को डाउनलोड करने की आवश्यकता नहीं होगी। डिवाइस से निकलने वाले सिग्नल को मोबाइल की पहुंच तक लाने के लिए एक वन टाइम पासवर्ड आवश्यक होगा। नेटवर्क से जुड़ने के लिए यूजर का आधार कार्ड नंबर लिया जाएगा। बजट कम होने से डिवाइस की रेंज अभी पांच से 10 किलोमीटर तक ही है, लेकिन इस रेंज को बढ़ाया जा सकता है।
पिता असरार अली की मौत के बाद परिवार आर्थिक तंगी से जूझता रहा, लेकिन अली ने आर्थिक संकट के बावजूद कई कारनामे कर दिखाए। वह मिस कॉल वाला बाइक लॉक पहले ही बना चुके हैं।
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