अब शिवपाल के निशाने पर अखिलेश की ये टीम…

 चाचा-भतीजे की सियासी उठापटक के बाद अब सपा में ऑपरेशन क्‍लीन शुरू हो गया है। प्रदेश अध्‍यक्ष की गद्दी पर बैठते ही टीम अखिलेश चाचा के निशाने पर आ गई है। चाचा ने इसका इशारा भी कर दिया है। निशाने की जद में होंगी जिले और शहर की कार्यकारिणी। अखिलेश के करीबी माने जाने वाले कई मौजूदा प्रत्‍याशी भी इस सियासी जंग की चपेट में आ सकते हैं। अब बस इंतजार है तो टीम अखिलेश को निपटाने के फरमान का।

पिछले कई दिन से सियासत के सबसे बड़े अखाड़े उत्‍त्‍र प्रदेश में सियासी जंग चल रही है। सूबे में सियासी पारा पहले से ही हाई है। ऊपर से चाचा-भतीजे के बीच की यह जंग। बेशक इस जंग को खत्‍म माना जा रहा है। लेकिन सच तो यह है कि कहीं न कही चिंगारी अभी भी सुलग रही है। सपा प्रदेश अध्‍यक्ष की कुर्सी पर बैठते ही शिवपाल यादव ने तीर चलाने शुरू कर दिए हैं। प्रो. रामगोपाल यादव के भांजे सहित चार लोगों को पहले ही निपटा चुके हैं। अब निशाने पर हैं जिला और शहर में बैठी टीम अखिलेश।shivpal

सूत्रों की मानें तो जल्‍द ही जिले और शहर की कार्यकारिणी भंग की जा सकती हैं। करीब 60 प्रतिशत लोग जिले और शहर की टीम में सीएम अखिलेश यादव के बताए जा रहे हैं। लेकिन चर्चा यह भी है कि चाचा शिवपाल एक साथ भतीजे की टीम पर हाथ डालने के मूड़ में नहीं हैं। भतीजे को शुरूआती झटका देते हुए 25 से 30 प्रतिशत टीम के विकेट गिराए जा सकते हैं। चाचा-भतीजे की इस लड़ाई में हालात को भांपते हुए अखिलेश टीम के कई खिलाड़ी तो पहले ही इस्‍तीफा दे चुके हैं। जो रह गए हैं उन्‍हें अब नए अध्‍यक्ष के फरमान का इंतजार है।
सूत्रों की मानें तो बड़े पैमाने पर ऑपरेशन क्‍लीन आजमगढ़ रैली के बाद शुरू हो सकता है। रैली से पहले नए अध्‍यक्ष किसी भी तरह के बवाल को न्‍यौता नहीं देना चाहते हैं। लेकिन इस दौरान नए अध्‍यक्ष की टीम नई जिम्‍मेदारियां लेने के लिए तैयार हो गई है। कुछ समय के लिए वो भी इस बहती गंगा में हाथ धो लेना चाहते हैं।

प्रत्‍याशियों पर भी शिवपाल की तलवार

जिले और शहर में बैठी टीम अखिलेश ही अध्‍यक्ष शिवपाल यादव के निशाने पर नहीं है। अब तक घोषित हो चुके करीब दो सौ से अधिक टिकट पा चुके चुनाव उम्‍मीदवार भी निशाने पर हैं। सूत्रों की मानें तो इस सियासी जंग के बाद तीन से चार प्रतिशत तक उम्‍मीदवारों पर तलवार शिवपाल यादव चल सकती है। यह वो लोग हैं जो अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं। कारण के रूप में प्रत्‍याशियों के कमजोर होने की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

कुछ बदलाव हमारे नए अध्‍यक्ष कर चुके हैं और अब जो भी बदलाव होंगे वो एक सामान्‍य प्रक्रिया होगी। नए अध्‍यक्ष के आने पर तो ऐसा होता ही है। आगामी चुनावों को देखते हुए यह बदलाव किए जा रहे हैं।

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