भारत द्वारा पाकिस्तान को बायपास करते हुए अफगानिस्तान तक माल पहुंचाने के लिए नया वैकल्पिक मार्ग बनाया जा रहा है। यह बंदरगाह ओमान की खाड़ी से लगा हुआ है। इसकी सहायता से भारत ईरान और अफगानिस्तान के साथ एक आसान और नया व्यापारिक मार्ग अपना सकता है। इसके साथ ही चाबहार परियोजना पर भारत-ईरान के बीच नए रिश्तों की शुरूआत भी हुई, लेकिन ईरान ने भारत को झटका देते हुए पाकिस्तान और चीन से भी इस परियोजना में शरीक होने की पेशकश दे दी है।पाक अखबार ‘डॉन’ ने मंगलवार को इस आशय की रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित की है। रिपोर्ट के मुताबिक ईरान के विदेश मंत्री जावद जारिफ ने चाबहार बंदरगाह परियोजना में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान को आमंत्रित किया है। उन्होंने ईरानी बंदरगाह में भारत के जुड़ाव पर होने वाली चिंताओं को दबाते हुए पाक से कहा कि वह अपने ग्वादर बंदरगाह को चाबहार परियोजना के साथ लिंक करे। जारिफ ने अपनी तीन दिनों की पाक यात्रा के दौरान इस्लामाबाद के सामरिक अध्ययन संस्थान में व्याख्यान देते हुए, चीन से भी चाबहार परियोजना में भाग लेने की पेशकश की।
ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि हमने चीन-पाक आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में भी भाग लेने की पेशकश की थी। हम इसी तरह से चीन और पाकिस्तान को चाबहार में शामिल होने की पेशकश दे रहे हैं। चूंकि चाबहार परियोजना को भारत-ईरान के बीच एक सफल शुरूआत के रूप में माना जाता है इसलिए ईरान के विदेश मंत्री का यह बयान भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है। दक्षिण-पूर्वी ईरान में भारत चाबहार बंदरगाह का पहला चरण विकसित कर रहा है। इसका उद्घाटन पिछले साल दिसंबर में किया गया है।
पाक-ईरान के बीच आर्थिक सहयोग पर भी सहमति
‘डॉन’ के मुताबिक ईरान और पाक के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद विदेश मंत्रालय के एक वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों पक्ष आपसी समृद्धि को प्रोत्साहन देने के लिए द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और वाणिज्यिक संपर्क जारी रखेंगे। इसके अलावा दोनों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति जताई गई। बयान में कहा गया कि पाक-ईरान के विदेश मंत्रियों ने आपस में दोनों को पड़ोसी भाई बताते हुए ग्वादर और चाबहार बंदरगाहों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने पर विचार रखे ताकि उनके पूरक गुणों का फायदा उठाया जा सके।