अभी अभी: केंद्र के पैसे पर अखिलेश ने की सियासत, योगी ने भुनाया, यूं मिल रहा फायदा

अभी अभी: केंद्र के पैसे पर अखिलेश ने की सियासत, योगी ने भुनाया, यूं मिल रहा फायदा

प्रदेश और केंद्र में एक ही दल की सरकार होने का फायदा साफ नजर आने लगा है। किसानों की कर्जमाफी और कर्मचारियों को सातवें वेतन का लाभ देने के दोहरे बोझ तले दबी योगी आदित्यनाथ सरकार इस चुनौती से पार पाती नजर आ रही है। अभी अभी: केंद्र के पैसे पर अखिलेश ने की सियासत, योगी ने भुनाया, यूं मिल रहा फायदा
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केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय से हजारों करोड़ के रोडप्रोजेक्ट की मंजूरी के एलान और बजट के बाहर कर्ज लेने की तरकीब से योगी सरकार के रणनीतिकारों की चिंता दूर हो र्ग है। इसमें 10 हजार करोड़ रुपये केंद्रीय सड़क निधि से भी मिलेगी, जो पहले नाममात्र हुआ करती थी। इससे प्रदेश में सड़कों का जाल बिछ सकेगा।

शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि प्रदेश सरकार के सामने वर्ष 2017-18 से सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों को लागू करने के लिए करीब 30 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार पहले से तय था। 

किसानों की कर्जमाफी से 32 हजार करोड़ का बोझ और बढ़ने से एक ही वित्त वर्ष में 62 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बंदोबस्त बड़ी चुनौती बन गया था। खास बात ये रही कि योगी सरकार को इस विकट वित्तीय स्थिति से उबरने के लिए पहले दिन से ही जूझना पड़ रहा है। 

केंद्र से 60 करोड़ के प्रोजेक्ट को म‌िली मंजूरी
अरुण जेटली से मुलाकात करते सीएम
मुख्यमंत्री ने वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल को इस चुनौती से निपटने की जिम्मेदारी सौंपी थी। अग्रवाल की टीम इस चुनौती से पार पाती नजर आ रही है।

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जानकार बताते हैं कि प्रदेश सरकार ने सबसे पहले अपने स्तर पर विभिन्न विभागों के नियंत्रणाधीन सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों, स्वायत्तशासी संस्थाओं व प्राधिकरणों को सार्वजनिक क्षेत्र की वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेने का रास्ता सुझाया। 

लोक निर्माण, औद्योगिक विकास, आवास, नगरीय रोजगार, ग्राम्य विकास व ऊर्जा विभाग से संबद्ध संस्थाएं सड़क, पुल निर्माण, राजमार्ग अपग्रेडेशन, एक्सप्रेस-वे निर्माण, आवास व बिजली से जुड़े काम के लिए 16,580 करोड़ रुपये का ऋण लेंगी। 

कर्ज की यह रकम राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत प्रदेश की तय ऋण सीमा से बाहर होगी। इसके बाद केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं से अधिकाधिक सहयोग लेने पर ध्यान केंद्रित किया। इस ओर सबसे बड़ी कामयाबी सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय से मिली है। 

केंद्र ने प्रदेश के कई स्टेट हाईवे को नेशनल हाईवे में बदलने सहित विभिन्न राजमार्ग प्रोजेक्ट के लिए करीब 60 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। 

इसमें प्रदेश की सड़कों के लिए केंद्रीय सड़क निधि से 10 हजार करोड़ रुपये देने का एलान कर राज्य सरकार की चुनौती को और काफी कम कर दिया है। सरकार को उम्मीद है कि जीएसटी लागू होने से भी प्रदेश को फायदा ही होगा।

पिछली सरकार में तनातनी से बिगड़ती थी बात

अखिलेश यादव
योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए जो केंद्रीय सड़क निधि मददगार बनकर सामने आई है, अखिलेश यादव सरकार ने उसे लगातार ठुकराने का काम किया था।  

दरअसल, केंद्रीय सड़क निधि से प्राप्त रकम को ‘केंद्रीय सरकार से सहायता अनुदान’ लेखाशीर्षक के अंतर्गत रखने की व्यवस्था है। इस निधि से बनने वाली सड़कों के बारे में स्पष्ट रहता है कि ये सड़कें केंद्र की मदद से बन रही हैं। 

अखिलेश सरकार केंद्र की इस व्यवस्था से सहमत नहीं थी। वह इस निधि की रकम को प्रदेश के बजट में शामिल करना चाहती थी ताकि राज्य की उपलब्धि में हासिल कर पाती। 

केंद्र सरकार ने केंद्रीय सड़क निधि से प्रदेश को वर्ष 2014-15 में 200 करोड़ रुपये देने को कहा था। आवंटन आश्वासन से अधिक 234.26 करोड़ रुपये किया। वर्ष 2015-16 में 300 करोड़ मिलना था। केंद्र ने 225.39 करोड़ जारी किया। 

पर, तय प्रक्रिया का पालन न किए जाने के चलते अखिलेश सरकार इस रकम का एक पाई भी खर्च नहीं कर पाई। केंद्र व राज्य में एक सरकार होने से यह लड़ाई खत्म हो गई। योगी सरकार ने इसी निधि से 10 हजार करोड़ रुपये की राशि प्राप्त करने का रास्ता बना लिया है। इसे प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है।

ये कदम भी उठा रही योगी सरकार
योगी आद‌ित्यनाथ
– योगी सरकार ने पिछली सरकार की कई पुरानी योजनाओं व परियोजनाओं की समीक्षा कर उस पर आने वाले खर्च को घटाने की दिशा में भी काम किया है। इसकी स्पष्ट तस्वीर वर्ष 2017-18 के आम बजट में नजर आएगी।

– राज्य के बजट से खर्च का दबाव कम करने के लिए योगी ने केंद्र व राज्य के स्तर पर समान प्रकार की चल रही योजनाओं को लेकर स्पष्ट नजरिया दिखाया है। उन्होंने ऐसी स्थितियों में केंद्र की योजनाओं को ही चालू रखने को कहा है।

– विभिन्न योजनाओं में लाभार्थियों को दी जाने वाली सभी तरह की सहायता डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर सिस्टम से देने की व्यवस्था की गई है। सरकार का दावा है कि इससे बड़ी संख्या में बोगस लाभार्थियों की छंटनी करने में मदद मिली है और इससे सरकार की बड़ी रकम बचने वाली है।

– बजट संतुलन दिखाने के लिए राज्य सरकार खर्च कम करने और प्राप्तियां बढ़ाने का दावा कर सकती है। ऐसा तब होगा जब प्राप्तियों में लक्ष्य से काफी कम आय होने की उम्मीद है।

– बजट प्रबंधन की ओर ध्यान दिए जाने की भी बात कही जा रही है। इसके अंतर्गत योजनाओं के लिए अनावश्यक प्रावधान व पुनर्विनियोग से बचने और समय से बजट खर्च का प्रयास होगा। साथ ही प्रयास ये होगा कि पिछली सरकारों में जो मोटी रकम वर्ष के अंत में सरेंडर होती थी, उस तरह फजीहत वाली नौबत न आए।

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