करीब 9 हजार स्थाई शिक्षकों की भर्ती के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने डीएसएसएसबी यानी दिल्ली राज्य अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के 24 अगस्त को भर्ती संबंधी विज्ञापन वापस लेने के फैसले को रद्द कर दिया है.Kissing Competition:आदिवासी दम्पति की चुंबन प्रतियोगिता विवादों में घिरी, वीडियो हुआ वायरल!
कोर्ट ने सरकार को 20 दिसंबर तक नया विज्ञापन जारी करने और 31 अक्टूबर, 2018 तक पूरी भर्ती प्रक्रिया खत्म करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने विज्ञापन वापस लेने के लिए कोर्ट से इजाजत नहीं ली, उन्होंने अपनी मर्जी से ये फैसला लिया.
कोर्ट ने अपने 31 पन्नों के आदेश मे कहा है कि 31 जनवरी, 2018 तक स्थाई शिक्षकों के लिए आवेदन मंगाए जाएं. इसके बाद 31 अगस्त तक आवेदनकर्ताओं की लिखित परीक्षा, फाइनल सेलेक्शन करने के बाद 15 सितंबर तक लिस्ट शिक्षा निदेशालय को सौंप दी जाए. 27 सितंबर को कोर्ट ने नए गेस्ट टीचरों की नियुक्ति करने और 2010 से काम करने वाले गेस्ट टीचरों को स्थाई करने पर रोक लगा दी थी.
एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट ने ये याचिका दायर की थी. वकील अशोक अग्रवाल ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि सरकारी स्कूलों में 26 हजार स्थाई शिक्षकों के पद खाली हैं और इनमें 9 हजार नए पद शामिल नहीं है. हाई कोर्ट ने 2001 में सरकार को स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति करने का आदेश दिया था, जिसका आज तक दिल्ली सरकार ने पालन नहीं किया.
हाई कोर्ट के अप्रैल 2017 के आदेश का पालन करते हुए सरकार के कहने पर डीएसएसएसबी ने 7 अगस्त को सरकारी स्कूलों में 8914 नियमित शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन मंगाए थे. लेकिन सरकार के आदेश से बाद बोर्ड ने 24 अगस्त को इस भर्ती प्रक्रिया को वापस ले लिया था.