अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक विवादित रिपब्लिकन मेमो को जारी करने की मंजूरी दे दी. ट्रंप ने न्याय विभाग और जांच एजेंसी एफबीआई पर पक्षपात का आरोप लगाया था, जिसके कुछ ही घंटों बाद ट्रंप ने यह कदम उठाया है.
माना जा रहा है कि ट्रंप के इस कदम से राष्ट्रपति और देश की इस शीर्ष जांच एजेंसी के बीच टकराव बढ़ेगा. आरोप है कि एफबीआई ने ट्रंप के चुनाव प्रचार अभियान के एक सदस्य की जासूसी की. इससे पहले, ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एयर फोर्स वन विमान में पत्रकारों को बताया कि राष्ट्रपति कांग्रेस को यह जानकारी दे सकते हैं कि सदन की खुफिया समिति के अध्यक्ष डेविन नन्स की ओर से लिखित मेमो जारी करने पर उन्हें कोई ऐतराज नहीं है.
डोनाल्ड ट्रंप ने न्याय विभाग और जांच एजेंसी एफबीआई पर आरोप लगाकर कहा था कि वे ‘डेमोक्रेट पार्टी के पक्ष में पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं और रिपब्लिकन नेताओं के खिलाफ जांच का ‘राजनीतिकरण’ किया है’. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता राज शाह ने कहा कि दस्तावेज सदन की खुफिया समिति के अल्पमत एवं बहुमत सदस्यों के पास भेज दिए गए हैं. सदन के स्पीकर पॉल रेयांस को भी यह दस्तावेज भेजा गया है.
बता दें कि इस मेमो में आरोप है कि एफबीआई ने अपने निगरानी उपकरणों का दुरुपयोग किया है. ट्रंप के आरोपों ने एक बार फिर ऐसे लोगों की छवि धूमिल की है जिनकी नियुक्ति उन्होंने खुद की थी. इनमें एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रेय भी शामिल हैं.
ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था कि एफबीआई और न्याय विभाग के शीर्ष नेतृत्व और जांच अधिकारियों ने डेमोक्रेट नेताओं के पक्ष में और रिपब्लिकन नेताओं के खिलाफ पवित्र जांच प्रक्रिया का राजनीतिकरण कर दिया है. यह ऐसी चीज है जिसके बारे में कुछ समय पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था. ऊपर से नीचे तक महान लोग हैं.’
सूत्रों के अनुसार यह एक संसदीय प्रक्रिया है और मेमो पर विचार करने के बाद यह फैसला किया गया. अधिकारी ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति को इससे कोई दिक्कत नहीं है.’’ व्हाइट हाउस के कुछ अधिकारियों को आशंका है कि इससे एफबीआई निदेशक क्रिस्टोफर रेय अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं.
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