पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से बॉलीवुड लीजेंड दिलीप कुमार के हिस्से गुरुवार को एक बुरी खबर आई. हिंदी सिनेमा के वरिष्ठ अभिनेता दिलीप कुमार का तकरीबन एक सदी पुराना पैतृक मकान ढह गया है. हालांकि स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि इस जगह पर इसी तरह का मकान जल्द बनाया जाएगा.अभी अभी: काबुल की मस्जिद में आतंकी हमला में 4 की हुई मौत, 8 लोग हुए घायल, ISIS ने ली इसकी जिम्मेदारी..
सांस्कृतिक विरासत परिषद के महासचिव शकील वहीदुल्ला के मुताबिक ऐतिहासिक किस्सा ख्वानी बाजार के निकट मोहल्ला खुदा दाद स्थित इस मकान का सामने वाला हिस्सा और दरवाजा ही बाकी बचा है. इस मौके पर शहर के गणमान्य लोगों ने ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण में लापरवाही के लिए खैबर पख्तूनख्वा सरकार की आलोचना की है. गौरतलब है कि पुरातत्व विभाग ने 2014 में इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था.
आपको बता दें कि 94 साल के हो चुके दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पेशावर में ही हुआ था. 1930 में उनके पिता मुंबई आ बसे थे, जहां उन्होंने हिन्दी फिल्मों मे काम करना शुरू किया. दिलीप कुमार को बॉलीवुड का ‘ट्रेजिडी किंग ‘ भी कहा जाता है. दिलीप कुमार को 8 बार फिल्म फेयर के बेस्ट एक्टर अवार्ड से नवाजा जा चुका है. 1995 में उन्हें भारतीय फिल्मोंके सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा 1998 में दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज’ से भी सम्मानित किया गया है.
दिलीप कुमार की पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा’ थी, जो 1944 में आई थी. जबकि 1998 में बनी फिल्म ‘किला’ उनकी आखिरी फिल्म थी. 1955 में बनी फिल्म ‘देवदास’ और 1960 में आई ‘मुगल-ए-आजम’ दिलीप कुमार की करियर में मील का पत्थर साबित हुईं. आपको बता दें कि मुगल-ए-आजम में उन्होने मुगल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई थी. यह फिल्म पहले ब्लैक एंड व्हाइट थी लेकिन 2004 में उन्नत तकनीक की मदद से रंगीन बनाई गई.