अपनी शांत वादियों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए पहचाना जाने वाले देहरादून में देश के नंबर वन अपराध को अंजाम दिया जा रहा है और पुलिस के हाथ अभी तक खाली हैं।अभी अभी: कंगना रनौत के साथ हुआ दर्दनाक हादसा, नाजुक हालात में तुंरत अस्पताल में कराया भर्ती…
एटीएम कार्ड का डाटा चोरी करके खातों में सेंध लगाने के मामले में बुधवार को भी देहरादून के अलग-अलग थानों में छह एफआईआर दर्ज हुईं। इसके साथ ही शुक्रवार से अब तक 95 एफआईआर दर्ज हो चुकीं है।
एफआईआर की संख्या के लिहाज से यह मामला साइबर क्रिमिनल्स द्वारा अंजाम दी गई देश की सबसे बड़ी वारदात बन गई है। देश भर में एक ही गैंग द्वारा एक ही समय में अंजाम दी गई किसी भी वारदात में इतनी अधिक एफआईआर दर्ज नहीं की गईं हैं। मुंबई, नोएडा, लखनऊ, नैनीताल और रुड़की में पूर्व में ऐसी घटनाएं हुई है, जिनमें इतने मुकदमे नहीं हुए।
2016 सबसे पहली घटना नैनीताल के मल्लीताल थाने में हुई थी
2017 में हरिद्वार के रुड़की में इसकी पुनरावृत्ति हुई, यहां पर शिकार लोगों का आंकड़ा 50 तक पहुंचा था। कुछ समय पहले उत्तरकाशी में दस लोगों की रकम ऐसे ही गई थी। मुंबई, नोएडा और लखनऊ में इस तरह साइबर क्रिमिनल्स ने अपना कहर बरपाया था। यहां भी इतनी एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी।
एक दो मुकदमों में तमाम पीड़ित की तहरीर को शामिल कर पल्ला झाड़ लिया गया था। देहरादून में डाटा चोरी कर बैंक खातों से रकम निकालने के मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में किसी तरह की कंजूसी नहीं बरती है। एक ही मुकदमे में तमाम तहरीर शामिल करने की लकीर से हटकर पुलिस ने नया रिकार्ड कायम किया है।
एटीएम से डाटा चोरी करने के मामले में एसटीएफ, साइबर सेल और पुलिस की टीम अपने-अपने टारगेट पर बखूबी ढंग से जुटी है। प्राइवेट साइबर एक्सपर्ट भी साइबर क्रिमिनल्स तक पहुंचने को पुलिस की मदद कर रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर तीन संदिग्धों पर फोकस किया गया है, जिनकी पहचान कराने की कवायद शुरू कर दी है। उधर मोबाइल डाटा खंगालने में पुलिस को सहूलियत हो गई, क्याेंकि अब एक से दो जुलाई के बीच समय सिमट गया है।
पुलिस के लिए परेशानी की बात यह है कि शहर के बाद अब देहात क्षेत्र के लोग साइबर क्रिमिनल्स का शिकार बन रहे है। रायवाला थाने में ऐसे तीन मुकदमे दर्ज हुए है। इनमें भुवनेश्वरी के खाते से 60 हजार, आरती डोभाल के खाते से 25 हजार और आरती के खाते से 26 हजार गए है। इनकी रकम भी जयपुर और दिल्ली से निकाली गई है। इधर, एसटीएफ एसएसपी रिद्धिम अग्रवाल और एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने सुबह और शाम टीम के साथ अब तक की कार्रवाई की समीक्षा की। दोनों कप्तानों ने संयुक्त रूप से कहा है कि डाटा मिलान के साथ सीसीटीवी फुटेज का आंकलन किया जा रहा है। कुछ जानकारियां मिली है, जिन्हें डेवलप किया जा रहा है।
इसके अलावा दूसरे थानों में दर्ज हुए मुकदमों की विवेचना वहां के इंस्पेक्टर करेंगे। दून पुलिस की एक टीम देर रात दिल्ली के लिए रवाना हो गई है। सूत्रों का कहना है कि संदिग्धों बारे में जानकारी जुटाने के लिए उन्हें भेजा गया है। साइबर सेल की टीम अलग से दिल्ली के साइबर क्राइम पुलिस से सीधे संपर्क में है।
एटीएम डाटा चोरी प्रकरण में काफी कुछ जानकारियां आ गई है, उनका सत्यापन कराया जा रहा है। जांच का दायरा कई राज्यों से जुड़ा होने के कारण थोड़ा समय जरूर लगेगा। साइबर क्रिमिनल्स की करतूत को चुनौती के रूप में स्वीकार किया गया है।
इस लिंक ने पुलिस की मुश्किलों को काफी आसान कर दिया है। अब पुलिस के सामने इन संदिग्धों की पहचान कराने की चुनौती है। पहचान होते ही पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। चार सीसीटीवी कैमरों की जांच में पुलिस को एक संदिग्ध नजर आया था। इसकी जांच में पुलिस के हाथ कई अहम सुराग लगे हैं।
यह साफ हो गया है कि एसबीआई के एटीएम में स्कीमर डिवाइस एक जुलाई को लगाई गई थी। फुटेज में संदिग्ध एटीएम में डिवाइस लगाता दिख रहा है। अगले दिन दो जुलाई को यही शख्स एटीएम में लगे वेब कैमरे को उतारता नजर आ रहा है। जाहिर है कि इस एटीएम में दो दिन तक डाटा चोरी किया गया।
सूत्रों की मानें तो डाटा चुराने के बाद संदिग्ध ने अपने साथी के साथ दिल्ली और जयपुर की तरफ रुख किया है। चोरी किए गए डाटा की मदद से ही डुप्लीकेट एटीएम कार्ड तैयार किए और इन्हीं से जयपुर के एटीएम से रकम उड़ाई गई है। जयपुर की फुटेज में भी देहरादून में संदिग्ध माने जाने वाला युवक साथी के साथ नजर आ रहा है।