मोदी जो भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं , लोगों को नाराज़ करके , वोट बैंक को पीछे छोड़कर उन्होंने नोट बंदी और GST जैसे फ़ैसले लिए हैं । भाजपा को शहरों की और वायपरियों की पार्टी कहकर बदनाम किया जाता था लेकिन उनके इन फ़ैसले से कुछ समय के लिए ही सही पर अगर किसी को निकसान हुआ तो वे शहरी और व्यापारी ही थे , पर उन्होंने परवाह नहीं की और देश हित के लिए कड़े फ़ैसले लिए ।उन्होंने सुनारों पर भी टैक्स लगाया ताकि इस सोने -चाँदी के धंधे से देश की अर्थव्यवस्था को चपत लगनी बंद हो जाए , एक सर्वे के अनुसार जौहरी और सुनार भाजपा के पक्के वोटर होते हैं लेकिन PM मोदी ने कभी इस बात की परवाह नहीं की और देश हित को सबसे पहले रखा । लेकिन अब जो ख़बर हम आपको बताने जा रहे हैं वो आपके लिए बड़े सदमे से कम नहीं होगी क्यूँकि उसने PM मोदी तक को हिला दिया है ।
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आप बख़ूबी जानते ही है कि नोटबंदी करने के बाद मोदी सरकार ने इस साल की शुरूआत से ही 500 और 1000 रुपए के नोटों को पूरी तरह से चलन से बाहर किया था। क्यूँकि नोटबंदी लागू होने के बाद 500 और 1000 रुपए के नोटों को नए नोटों से बदलने के लिए सरकार ने सबको 31 दिसंबर 2016 तक का समय दिया था और विशेष परिस्थियों में उस समय को 31 मार्च किया था। लेकिन अभी भी एक जगह ऐसी बताई जा रही है ( यूँ कह लीजिए की ख़ुलासा हुआ है ) जहां इस काले धन को सफेद करने का गोरखधंधा जोरों पर चल रहा था।
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ग़ौरतलब है कि केंद्रीय जांच एजेंसी CBI ने नोटंबदी के बाद 17 लाख रुपए के कालेधन को बदलने में कुछ अधिकारियों की कथित रूप से मदद की गयी। इस मामले में खादी ग्रामोद्योग भवन के दो कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है। CBI ने ये आरोप भी लगाया कि आरोपियों ने 9 नवंबर से 31 दिसंबर के बीच चलन से हटाए गए 17.07 लाख रुपए खादी ग्रमोद्योग के स्टेट बैंक आफ बीकानेर एंड जयपुर के बैंक खाते में जमा किए। यह सरकार के निर्देश के सीधा सीधा खिलाफ था और काले धन को सेटल किया जा रहा था ।
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ग़ौरतलब है कि PM नरेंद्र मोदी की 500 और 1000 रुपए के नोट को चलन से हटाने की घोषणा के एक दिन बाद खादी ग्रामोद्योग भवन के प्रबंधक ने 9 नवंबर को एक आदेश जारी कर अपने कनाट प्लेस स्थित स्टोर में चलन से हटाए गए नोट स्वीकार करने पर प्रतिबंध लगा दिया था , इस तरह के प्रतिबंध के बावजूद भारत सरकार के उपक्रम खादी ग्राम उद्योग के लोगों ने हेराफेरी की ।
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सीबीआई की FIR के मुताबिक़ यह भी पाया गया कि प्रमुख खजांची ( Cashier) संजीव मलिक और प्रदीप कुमार यादव ने नियमों का उल्लंघन करते हुए बिक्री करने वाले कैशियर से प्राप्त हुए नए नोटों से पुराने नोटों को बदला और लाभ कमाया। पैसे के लालच में घोटाले करते कर्मचारी एक तरह से ईमानदार सरकार के भरोसे को ही तोड़ने में लगे हैं और देश का अहित कर रहे हैं ।