पाक में पारित नए चुनाव अधिनियम 2017 के बदलाव के विरोध में इस्लामाबाद स्थित फैजाबाद इंटरचेंज में 8 नवंबर से डेरा डाले कट्टर धार्मिक समूहों के कार्यकर्ताओं के खिलाफ इस्लामाबाद पुलिस की कार्रवाई के बाद हिंसा भड़की। गुस्साए लोगों ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव और सड़कों पर आगजनी शुरू कर दी। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी और राजनेताओं के घर पर हमला कर दिया।
पिछले करीब सत्रह दिनों से जारी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में तहरीक-ए-लाबेक या रसूल अल्लाह नामक इस्लामिक संगठन से जुड़े सैकड़ों लोगों ने इस्लामाबाद के राजमार्गों को बंद कर दिया था। इस्लामाबाद हाईकोर्ट द्वारा जारी सड़कों को खुलवाने के आदेश का पालन कराने में विफल गृहमंत्री अहसान इकबाल के खिलाफ अदालत की अवमानना का नोटिस जारी करने के बाद शनिवार को पाक सुरक्षा एजेंसियों ने यह ऑपरेशन शुरू किया। करीब 8000 से अधिक इस्लामाबाद पुलिस और फ्रंटियर कांस्टेबुलरी ने शुरुआत में घटनास्थल से प्रदर्शनकारियों को खदेड़ना शुरू किया, लेकिन वे लोग एक बार फिर जुटने लगे। इस दौरान हिंसा भड़क उठी और कई वाहनों को फूंक दिया गया। अन्य घायलों में 95 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
सैन्य प्रवक्ता ने बताया कि आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा ने फोन पर घटना को लेकर प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी से बात की और समस्या के शांतिपूर्ण समाधान की अपील भी की है। लेकिन पुलिस फैजाबाद इंटरचेंज से विरोध प्रदर्शन करने वालों को हटाने में अभी सफल नहीं हो पाई है।
सड़कें बंद कर राजधानी को बंधक बनाया
घटनास्थल पर तहरीक-ए-खत्म-ए-नबुव्वत, तहरीक-ए-लाबेक या रसूल अल्लाह और सुन्नी तहरीक पाकिस्तान के 2000 से भी ज्यादा प्रदर्शनकारी जुटे थे। प्रदर्शनकारियों ने पिछले दो सप्ताह से भी अधिक समय से इस्लामाबाद एक्सप्रेस वे और इस्लामाबाद एयरपोर्ट व रावलपिंडी की तरफ जाने वाली मुरी रोड को बंद करके राजधानी को लगभग बंधक जैसा बना डाला था। ये प्रदर्शनकारी कानून मंत्री जाहिद हामिद के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने सितंबर में पारित चुनाव अधिनियम 2017 में खत्म-ए-नबुव्वत या पैगम्बर की शपथ को लेकर बदलाव किए थे।
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