सुप्रीम कोर्ट ने पुराने नोट बैंक में ना जमा करने वाले याचिकाकर्ताओं को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा है कि वह अपनी इस याचिका को उस संवैधानिक पीठ के पास ले जाएं जो नोटबंदी पर सुनवाई कर रही है. इन याचिकाकर्ताओं ने 31 दिसंबर 2016 तक पुराने नोट जमा नहीं किए जाने के मामले में याचिका डाली थी. बता दें कि आने वाली 8 नवंबर को नोटबंदी को एक साल पूरा हो रहा है.
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अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इन 14 याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं की जाएगी. आपको बता दें कि ये मामला पहले ही संविधान पीठ को भेजा जा चुका था, लेकिन ये याचिकाएं बाद में दाखिल की गईं थीं. हालांकि, आरबीआई और केंद्र सरकार पहले ही 31 मार्च के बाद भी पुराने नोटों को जमा करने वालों को राहत देने से साफ तौर पर इनकार कर चुकी है.
इससे पहले 500-1000 के पुराने नोट बदलने को लेकर दाखिल एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया कार्ड धारक महिला की याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि अगर एक केस में लोगों को पुराने नोट बदलने का आदेश देंगे तो अव्यवस्था फैल हो जाएगी. ऐसे में पुराने नोट बदलने के लिए विंडो खोलने के लिए नहीं कहा जा सकता.
क्या थी डेडलाइन
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा के वक्त 30 दिसंबर 2016 तक प्रतिबंधित की गई करेंसी को बैंक में जमा कराने की डेडलाइन तय की थी. जिसके बाद रिजर्व बैंक ने कहा था कि पुरानी करेंसी को 31 मार्च तक रिजर्व बैंक में जमा किया जा सकेगा. हालांकि उसने रिजर्व बैंक में जमा कराने वालों को यह वजह बताने की शर्त रख दी थी कि क्यों उक्त करेंसी को 30 दिसंबर 2016 की डेडलाइन तक नहीं जमा कराया गया.
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