पलवल पुलिस की हिरासत में संदिग्ध हालात में मौत होने के साथ ही पवन उर्फ हरिया के आतंक का अध्याय बंद हो गया। मौत से पहले आम जनता के लिए आतंक का सबब रहा हरिया मरने के बाद अब उन पुलिसकर्मियों के लिए परेशानी साबित होगा जिन्होंने उसे कस्टडी में लिया था। हरिया की मौत से उन परिवारों को सुकून मिला है, जिन्हें उसने जान से मारने की धमकी दे रखी है। बचपन से ही निडर और दबंग हरिया ने गांव तिगांव में ही छोटी मोटी लड़ाईयों के साथ जुर्म की दुनिया में कदम रखा था।हरिया की जैसे जैसे दबंगई बढ़ी वैसे ही गांव में उसका विरोध भी बढ़ा। करीब डेढ़ साल पहले हरिया ने गांव छोड़ कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जगह बनानी शुरू की।
इस दौरान उसके संपर्क पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई बड़े बदमाशों से हुए। यूपी में उसने लूटपाट करने में महारत हासिल की। लूटपाट से आई अनाप शनाप धनराशि से उसने नए हथियार और वाहन रखने शुरू किए।
इसके साथ ही वह लूट हत्या की अंतरराज्यीय घटनाओं को अंजाम देने लगा। उसने गैंग में अपने पुराने साथी अरुण, अंकित आदि को शामिल किया। पिछली कई घटनाएं इन तीनों ने ही मिल कर अंजाम दी थीं।