उनके मुताबिक ट्रंप ने जो रास्ता चुना है वो एक शॉर्ट टर्म विजन है। यूएस के इसमें भागिदारी पर मून ने कहा कि वहां के गवर्नर्स, मेयर्स, बिजनेस लीडर्स और सिविल सोसायटी इसके प्रति उत्साहवर्धक रहते हैं।
बता दें कि बेन ने लगभग एक दशक तक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रतिबंध की वार्ता में भाग लिया, जिसके परिणामस्वरूप विश्व के तापमान को 2100 तक एक और डिग्री सेल्सियस से बढ़ने की
प्रतिज्ञा हुई।
दरअसल, अगर यूएस इस समझौते से अलग होता है तो इसका नुकसान जरूर होगा, क्योंकि इसमें इन्वेस्ट करने में यूएस बड़ा भूमिका निभाता है। ट्रंप ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि इसका फायदा दूसरे देश उठाते हैं, जबकि यूएस इसमें करोड़ों रुपये बर्बाद करता है।