जिन स्थानों पर हम नियमित तौर पर आते-जाते हैं, उनको लेकर कभी हमें अहसास भी नहीं होता कि हम वहां ठगे जा रहे हैं. ऐसे ही स्थान हैं पेट्रोल पम्प. इंडिया टुडे जांच टीम ने पेट्रोल पम्पों से ही जुड़े संभावित घोटाले को बेनकाब किया है. इस घोटाले के तार व्यापक तौर पर देश में फैले लगते हैं.खुशखबरी: प्रधानमंत्री योजना से जुड़ने वालों के लिए अब 44 हजार मकान बनाने की सरकार ने दी मंजूरी..
बता दें कि हाल में स्पेशल टास्क फोर्स ने उत्तर प्रदेश में संदिग्ध पेट्रोल पम्पों पर छापे मारे थे. अब इंडिया टुडे की जांच ने उन संदेहों पर पुष्टि की मुहर लगा दी है कि किस तरह आपको पेट्रोल पम्पों पर ईंधन भरवाते समय ठगे जाने का खतरा रहता है.
इंडिया टुडे टीम ने जांच के तहत सबसे पहले मिट्टी के बर्तनों के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश के खुर्जा शहर में स्थित उत्तम सेवा फिलिंग स्टेशन का रुख किया. ये बुलंदशहर हाईवे पर स्थित व्यस्तम पेट्रोल पम्पों में से एक है.
उत्तम सेवा फिलिंग स्टेशन पर पेट्रोल भरने वाले कर्मचारी चमन को इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने खुद का परिचय पेट्रोल पम्प खरीदने के इच्छुक लोगों के तौर पर दिया. पेट्रोल पम्पों पर किस तरह के हथकंडे अपनाए जाते है, इसकी बारीक जानकारी रखने वाले चमन ने इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स को खुलकर कुछ ‘ट्रिक्स ऑफ ट्रेड’ भी बताईं.
चमन ने कहा, ‘देखो भाई, ये सब एक चिप को इसमें (डिस्पेंसर) सेट करने की बात है. अगर आप की मजबूत पकड़ है (सिस्टम पर) तो आप इंजीनियर से साठगांठ के बाद ईंधन की मात्रा घटा सकते हैं. सिर्फ इंजीनियर ही इसे फिट कर सकता है. आप जैसा भी सेट करना चाहते हैं- 50 ग्राम, 40 ग्राम- उसी के हिसाब से चिप फिट हो जाती है.’
चमन रिमोट कंट्रोल संचालित चिप की बात कर रहा था जिसे पेट्रोल भरने वाली मशीनों में छुपा कर फिट किया जा सकता है. ये छोटी सी चिप मशीन के मूल गैजेट की जगह ले लेती है जिससे पेट्रोल भरने के दौरान गड़बड़ी की जा सके. इस चिप के माध्यम से मीटर की स्पीड तेज कर दी जाती है लेकिन ग्राहक को उसके चुकाए पैसों के बदले कम ईंधन मिलता है. खांटी भाषा में कहे तो इसे ‘डंडी मारना’ कहा जाता है.
चमन ने बताया, ‘वहां एक रिमोट कंट्रोल होता है. अगर कभी इंस्पेक्शन होता है तो चिप को स्विच ऑफ कर दिया जाता है. ये ठीक वैसे ही काम करता है जैसे कि कार को रिमोट से लॉक किया जाता है. जब चिप को बंद कर दिया जाता है तो मशीन से पूरी मात्रा में ईंधन आने लगता है.’ चमन ने ये भी कबूल किया कि उसके कार्यस्थल पर भी एक मशीन में इसी तरह छेड़छाड़ की गई है.
यही काफी नहीं था, चमन ने एक और ट्रिक का इंडिया टु़डे के अंडर कवर रिपोर्टर्स के सामने खुलासा किया. जिस पाइप से पेट्रोल वाहन में डाला जाता है उसने उसकी टोंटी को हैंगर पर ढीले ढंग से टांगा. इससे मशीन की रीडिंग दोबारा जीरो पर नहीं आई. अब ईधन लेने के लिए लाइन में जो अगला ग्राहक लगा है, उसे भुगतान किए पैसे के मुकाबले कम ईंधन मिलने का खतरा रहता है. बशर्ते कि पेट्रोल भरवाने से पहले ग्राहक ने मीटर पर सतर्क नजर ना रखी हो.
हाथरस के माधव फिलिंग स्टेशन के मैनेजर केशव सिंह ने अंडर कवर रिपोटर्स के सामने खुलासा किया कि किस तरह नाप तौल विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर धोखाधड़ी को अंजाम दिया जाता है. केशव सिंह ने बताया, ‘जिस दिन इन मशीनों को इंस्टालेशन के लिए मुहर लगाई जाती है तभी छेड़छाड़ की जाती है. बस तभी नाप तौल विभाग के कर्मचारी को मीटर फिक्स करने के लिए कहा जाता है.’ केशव सिंह ने आगे कहा, ‘आप उससे कह सकते हैं कि 5 लीटर में हमारे लिए 30 ग्राम (मिलीलीटर) बचना चाहिए. आप जैसा चाहते हैं, वो उसी हिसाब से डिस्पेंसर को सेट कर देगा.’ केशव सिंह ने जो कहा वो सिर्फ अंडर कवर रिपोटर्स को सलाह देने के नाते से नहीं कहा जा रहा था. केशव सिंह ने अपने पेट्रोल पम्प पर भी ये सभी हथकंडे अपना रखे थे.
रिपोर्टर ने पूछा कि आपकी मशीन से कितनी छेड़छाड़ हो रखी है. इस पर केशव सिंह का जवाब था- ‘20 मिली, 25 मिली (प्रति लीटर).’ केशव सिंह ने कहा, ‘वहां मशीनों से छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए जहां कम ग्राहक आते हैं. अगर छेड़छाड़ की गई मशीन इंस्पेक्शन में पकड़ी भी जाती है तो भी मेरे पास दो मशीने सही से चलती रहेंगी.’
नोएडा में मलिक फिलिंग स्टेशन के सहायक (अटैंडेंट) करतार सिंह ने स्वीकार किया कि इस पेट्रोल पम्प पर मशीनों को इस तरह सेट किया गया है कि हर एक लीटर पर 5 मिलीलीटर कम ईंधन निकले. करतार सिंह ने कहा, ‘सब कुछ किया जाता है. किसी को कुछ पता नहीं चलता. 5 मिलीलीटर (प्रति लीटर) होता ही कितना है लेकिन व्यापक तौर पर देखा जाए तो इससे बहुत फर्क पड़ता है.’ करतार सिंह के मुताबिक छेड़छाड़ पेशेवर लोगों से कराई जाती है जिन्हें फिटर कहा जाता है.
आगरा में इंडिया टुडे की टीम एक ऐसे पेट्रोल पम्प पर पहुंची जिस पर कुछ महीने पहले ही छापा पड़ा था. आगरा के सिटी फ्रेंड फिलिंग स्टेशन पर भीकम खान नाम का अटैंडेंट डेढ़ दशक से ज्यादा समय से काम कर रहा है. जांचकर्ताओं को अभी निर्णायक रिपोर्ट देनी है लेकिन खान ने इंडिया टुडे की टीम के सामने कई खुलासे किए. रिपोर्टर ने पूछा कि मशीनों में क्या इंस्टाल किया जाता है. खान ने इस पर बताया, ‘ये ईंधन की डिलीवरी कम कर देता है. हर 5 लीटर जो हम बेचते हैं उस 100-150 मिलीलीटर कम हो जाता है. हमारी सभी मशीनों से समझौता (छेड़छाड़) की गई है. अधिकारी इसे समझ नहीं पाते. लेकिन उनके अपने संदेह थे इसलिए एक डिस्पेंसर से कुछ अप्रेटस अपने साथ ले गए.’ भारत में 2016 में ईंधन की मांग पिछले 16 साल में सबसे तेज रफ्तार से बढ़ी.
आंकड़े बताते हैं कि बीते साल देश में हर दिन 25 करोड़ लीटर डीजल और 7.5 करोड़ लीटर पेट्रोल की खपत हुई. अगर जैसा कि संदेह है, घोटाला इतना ही व्यापक है तो ईंधन को भरवाने में कम डिलीवरी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान पहुंचा रही है, समझा जा सकता है. और धोखेबाज कितने अवैध मुनाफे से अपनी जेबें भर रहे हैं.