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निर्वाचित पार्षदों को एकजुट नहीं रख पाने से कांग्रेस की अंतर्कलह एक बार सामने आई है। टिकट चयन में वीरभद्र और सुक्खू गुट की अंदरूनी लड़ाई पहले ही जगजाहिर थी। निगम चुनाव के दौरान सरकार और संगठन के बीच सामंजस्य की कमी दिखी।
दूसरे चरण में संगठन समर्थित प्रत्याशी घोषित करने पर पसोपेश में रहा। संगठन ने बयान देकर प्रत्याशी घोषित नहीं करने का फैसला लिया। जब उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र भर दिए तो संगठन ने अपने समर्थित प्रत्याशियों की सूची जारी कर नामांकन करने वाले पार्टी से जुड़े अन्य उम्मीदवारों को नाम वापस लेने के आदेश जारी कर दिए।
कुछ वार्डों में संगठन टिकटें फाइनल भी नहीं कर सका। कहीं न कहीं इसका खामियाजा कांग्रेस को हार से चुकाना पड़ा। इधर, टिकट नहीं मिलने से नाराज आजाद प्रत्याशी संजय परमार ने पाला बदल लिया। मंगलवार को मेयर-डिप्टी मेयर के चयन में दोबारा से अंतर्कलह के चलते क्रॉस वोटिंग हुई।
धोखा देने से बेहतर होता संजय की तरह छोड़ जाते
क्रॉस वोटिंग होना कई कांग्रेस नेताओं के गले से नीचे नहीं उतर रहा है। नेताओं का कहना है साथ चलकर धोखा देने से बेहतर होता संजय परमार की तरह काली भेड़ भी छोड़ कर चली जाती। ताकि कांग्रेस को पता चल जाता कि कौन अपना है और कौन बेगाना।