यूपी सरकार से बातचीत विफल होने के बाद बृहस्पतिवार को शिक्षा मित्र प्रदेश भर में स्कूलों का बहिष्कार कर सड़क पर उतर आए। शिक्षा मित्रों ने प्रदेश में कई जिलों में धरना प्रदर्शन कर मानदेय बढ़ाने और सर्वोच्च न्यायालय में रिव्यू याचिका दायर करने की मांग की।अभी अभी: हुआ बड़ा हादसा, क्लोरीन गैस का फटा सिलेंडर, बच्चों की हालत हुई नाजुक…
बृहस्पतिवार को दो दौर में अपर मुख्य सचिव राजप्रपात सिंह से हुई वार्ता के बाद शिक्षा मित्रों ने देर रात दावा किया है कि सरकार ने उनकी तीन मांगों पर सरकार ने सहमति जताई है।
शाम बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राजप्रताप सिंह से बुधवार को वार्ता विफल होने के बाद शिक्षा मित्रों ने बृहस्पतिवार से लखनऊ सहित अधिकांश जिलों में स्कूलों का बहिष्कार कर जिला मुख्यालय व बीएसए कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया।
उधर, बृहस्पतिवार को सुबह विभाग के अपर मुख्य सचिव राजप्रताप सिंह से शिक्षा मित्रों की पुन: वार्ता हुई। सिंह ने शिक्षा मित्रों से धरना प्रदर्शन समाप्त कर स्कूलों में पढ़ाई सुचारु कराने को कहा। उन्होंने कहा कि शिक्षा मित्रों के लिए सरकार गंभीर है, उनकी समस्या का विधिक प्रक्रिया के अनुरूप समाधान किया जाएगा। उन्होंने मानदेय 10 हजार रुपये से अधिक करने के संबंध में मुख्यमंत्री से वार्ता कराने का आश्वासन दिया।
टीईटी से मुक्ति दिलाने के लिए एनसीटीई को पत्र लिखने का दिया आश्वासन
पहले दौर की वार्ता विफल रहने के बाद बृहस्पतिवार देर रात फिर शिक्षा मित्रों को वार्ता के लिए बुलाया गया। उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि अपर मुख्य सचिव ने टीईटी से मुक्ति दिलाने के लिए एनसीटीई को पत्र लिखने का आश्वासन दिया है।
शिक्षा मित्र करते रहे मुलाकात का इंतजार
शिक्षा मित्रों को बृहस्पतिवार शाम सात बजे मुख्यमंत्री से मुलाकात का आश्वासन दिया गया था। लेकिन देर रात तक मुख्यमंत्री की ओर से बुलावा नहीं आने पर शिक्षा मित्र संगठनों के पदाधिकारी इंतजार ही करते रहे।
हाथरस में बीएसए दफ्तर में तोड़फोड़, हंगामा
हाथरस में शिक्षामित्र नगर पालिका परिसर से दोपहर को बीएसए कार्यालय पर ज्ञापन देने पहुंचे। जहां उन्होंने जमकर नारेबाजी की। इस बीच उनकी एक ऑपरेटर से तीखी नोक-झोंक भी हो गई, जिससे आक्रोशित शिक्षामित्रों ने डीसी एमडीएम के कमरे पर पत्थर फेंके जिससे कार्यालय के शीशे और कई उपकरण टूट गए। इसे लेकर काफी देर तक हंगामा हुआ। अंत में शिक्षामित्र नेताओं ने किसी तरह शिक्षामित्रों का आक्रोश शांत कराया।
बुधवार को वह ड्यूटी से लौटे और देर शाम जहरीला पदार्थ खा लिया। जानकारी होने पर परिजन उन्हें प्राइवेट अस्पताल ले गए। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। उनका 13 वर्ष का लड़का और 9 वर्ष की लड़की है।
हड़ताल की वजह से एकल शिक्षक वाले 200 स्कूलों के ताले नहीं खुले और बच्चों को लौटना पड़ा। जिलाध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि समायोजन रद्द कर दिए जाने से शिक्षामित्रों की रोजी-रोटी पर खतरा मंडरा रहा है। सरकार भी उनकी मांगें माने को तैयार नहीं हुई है, जिसका नतीजा रहा कि हड़ताल फिर से शुरू कर दी गई है। मांगों को लेकर शिक्षामित्र चुप नहीं बैठेंगे।
शिक्षामित्रों की हड़ताल से वैसे तो हर स्कूल में पठन-पाठन का कार्य प्रभावित रहा, लेकिन 200 एकल स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह से चौपट रही। पूरे मान सिंह, एकडला, मेलथुवा, पुलियापुर, मुतवल्लीपुर आदि एकल शिक्षक वाले स्कूलों में तालाबंदी होने करीब 10 हजार बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। एक तरफ इन स्कूलों में ताले लटक रहे हैं, लेकिन पठन-पाठन का कार्य शुरू कराने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ओर से किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। यदि ताला खुल भी जाता है तो कोई शिक्षक नहीं पहुंचता है। इन स्कूलों के संचालन के लिए 200 शिक्षकों की जरूरत है। यह हाल तब है, जब पहले यहां पर शिक्षकों की कमी है।
विधायक ने शिक्षामित्रों को आश्वस्त किया कि सरकार उनकी समस्याओं से अवगत है, जल्द ही शिक्षामित्रों के पक्ष में ठोस निर्णय लेगी। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय कोषाध्यक्ष विश्वनाथ सिंह ने कहा कि सरकार की वादाखिलाफी शिक्षामित्रों पर भारी पड़ रही है।
केंद्र सरकार के माध्यम से संसद में अध्यादेश पारित कराकर उसे तत्काल प्रदेश सरकार को भेजने की मांग की है। श्री सिंह ने कहा कि इतना ही नहीं इस अवधि में शासन से उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर स्थगन आदेश लेते हुए पुनर्विचार याचिका भी दाखिल करने की मांग रखी।
बरेली में एक घंटे तक डीएम आवास को घेरे रखा। फोन पर डीएम ने शुक्रवार को मिलकर ज्ञापन लेने का आश्वासन दिया तब जाकर शिक्षामित्र आवास से हटे। आगरा और मथुरा में बीएसए कार्यालय पर धरना दिया। पीलीभीत में शिक्षामित्र संगठनों की प्रांतीय स्तर पर वार्ता विफल होने के बाद आक्रोशित शिक्षामित्रों ने बृहस्पतिवार से स्कूल छोड़ बीएसए कार्यालय परिसर में सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिया।
बदायूं में शिक्षामित्रों ने बृहस्पतिवार को जिला बेसिक अधिकारी कार्यालय पर सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिया। हजारों की संख्या में धरना-प्रदर्शन में मौजूद शिक्षामित्रों ने एलान किया है कि जब तक उन्हें शिक्षक के पद पर वापस नहीं लिया जाता तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। तीन दिन तक लगातार यह सत्याग्रह चलेगा। फिरोजाबाद में गुरुवार को समायोजन निरस्त होने के बाद शिक्षकों के हित में फैसला नहीं लिए जाने के विरोध में धरना प्रदर्शन फिर से शुरू हो गया। प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार का घेराव किया। हंगामा करते हुए नारेबाजी की। एटा में शिक्षा मित्र जुलूस के रूप में कलेक्ट्रेट पहुंचे और यहां धरना प्रदर्शन किया।
सहायक अध्यापक के पद का समायोजन रद्द होने का फैसला न लिए जाने से भड़के शिक्षामित्र गुरुवार को बीएसए कार्यालय में एकत्र हुए। उसके बाद संघ के जिलाध्यक्ष विनोद कुमार वर्मा की अगुवाई में प्रदर्शन रैली निकालते हुए शिक्षामित्र पटेल तिराहा पहुंचे। भारी संख्या में उमड़ी शिक्षामित्रों की भीड़ से दोनों ओर जाम लगा रहा। आधा घंटे तक प्रदर्शन करने के बाद शिक्षामित्र वापस बीएसए कार्यालय लौट गए।
मुख्यमंत्री के आदेश की अवहेलना करते हुए शिक्षामित्रों ने विद्यालय बंद कर दिया। जिले में कुल 3120 शिक्षामित्र हैं। करीब 300 ऐसे विद्यालय हैं जो शिक्षामित्रों के सहारे ही चल रहे थे। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम होने के कारण जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने 300 विद्यालयों में पड़ोस के स्कूलों से शिक्षकों को भेजकर ताला खोलवाए जाने की बात कही है। सभी विद्यालयों का ताला भले ही खुला हो पर यहां पढ़ाई कार्य ठप रहा।
गौरतलब हो कि जिले में लगभग 10500 शिक्षकों के पद हैं। इनमें शिक्षामित्रों को भी शामिल कर लें तो महज 7500 शिक्षक हैं। लगभग तीन हजार शिक्षकों की अभी भी कमी है। शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने के बाद बड़े पैमाने पर शिक्षकों के पद खाली हुए हैं। वहीं पठन-पाठन व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। परिषदीय विद्यालयों में लगभग 493000 छात्रों के पठन पाठन की व्यवस्था पर असर पड़ा है।
शिक्षामित्रों ने प्रदेश व्यापी आह्वान पर एक बार फिर से आन्दोलन शुरू कर दिया है। पूर्व में समायोजित हुए 1601 शिक्षामित्रों के साथ जिले के 2142 शिक्षामित्रों ने गुुरुवार को कार्य बहिष्कार शुरु कर दिया। वह विद्यालय नहीं पहुंचे जिससे शिक्षण व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ा।
हालांकि कहीं भी विद्यालय बंद होने जैसी स्थिति नहीं रही लेकिन शिक्षामित्रों की गैर मौजूदगी से कक्षाओं का सुचारु संचालन अधिकांश विद्यालयों में नहीं हो पाया। इस बीच कलेक्ट्रेट के निकट एकत्र होकर शिक्षामित्रों ने निर्णायक आन्दोलन की हुंकार भरी। प्राथमिक विद्यालय शिक्षामित्र संघ जिलाध्यक्ष केके द्विवेदी ने कहा कि पूर्व में समायोजित शिक्षामित्र के भविष्य को लेकर सरकार को जल्द आवश्यक कदम उठाने होंगे। अनिल विश्वकर्मा ने प्रदेश सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाया।
सभा के दौरान कहा गया कि प्रांतीय आह्वान पर जिला मुख्यालय पर तीन दिवसीय सत्याग्रह शुरू किया गया है। 20 अगस्त तक प्रदेश सरकार ने उनकी मांग के संबंध में ठोस कदम नहीं उठाए तो 21 अगस्त से लखनऊ में विधानभवन के समक्ष अनिश्चितकालीन सत्याग्रह होगा। सत्याग्रह के पहले दिन कलेक्ट्रेट के निकट बड़ी संख्या में शिक्षामित्र जुटे।