संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर जारी विवाद एक नई शक्ल के रूप में सामने आ रहा है. जहां पहले रानी पद्मिनी के चित्रण को लेकर करणी सेना जैसे जातीय संगठन आक्रामक विरोध कर रहे थे वहीं अब सेंसर बोर्ड ने पेंच फंसा दिया है.
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दरअसल, सेंसर चीफ ने साफ किया कि निर्माता एक ऐसी फिल्म को लेकर दबाव बना रहे हैं जो कई मामलों में अधूरी है और नियमों के परे कार्य प्रणाली अपनाई गई.
मालूम चला कि निर्माताओं ने वह गलती भी की जिसकी वजह से 180 करोड़ में बनी फिल्म को नुकसान उठाने पड़ सकते हैं.
क्या है वह गलती: दरअसल, किसी फिल्म के सर्टिफिकेशन के लिए सेंसर बोर्ड के पास डॉक्युमेंट जमा किए जाते हैं. डॉक्युमेंट में फिल्म मेकर्स ने इस बात को साफ नहीं किया है कि इस फिल्म की कहानी ऐतिहासिक है या फिक्शन(काल्पनिक). प्रसून जोशी के मुताबिक पद्मावती के निर्माताओं ने इस कॉलम को खाली छोड़ दिया है. यह गलती निर्माताओं के गले की फांस साबित हो सकती है.
कैसे भारी पड़ सकती है ये गलती? अधूरे कागजात की वजह से सेंसर ने फिल्म लौटा दी है. अब इसे दोबारा भरकर भेजना होगा. दिलचस्प यह है कि विवाद का एक सिरा यहीं सामने खड़ा होता है. शायद इसी से बचने के लिए निर्माताओं ने इस कॉलम को खाली छोड़ दिया हो. दोबारा पूरी की जाने वाली सेंसर की इस प्रक्रिया में अगर फिल्म को ऐतिहासिक बताते हैं तो निर्माताओं को कई पहलुओं पर जवाब देना पड़ेगा. अगर फिक्शन यानी काल्पनिक बताते हैं तो करणी सेना जैसे संगठनों का विरोध झेलना मुश्किल हो जाएगा.
प्रसून जोशी ने डॉक्युमेंट को लेकर आजतक से क्या कहा? प्रसून ने कहा, ‘इस केस में एक हफ्ते पहले ही फिल्म के रिव्यू को लेकर आवेदन मिला है. मेकर्स को ये बात पता है और उन्होंने कबूला भी है कि फिल्म को लेकर पेपर वर्क अभी अधूरा है.’ प्रसून ने बताया, ‘फिल्म के डॉक्यूमेंट्स में ये बात भी पूरी तरह साफ नहीं की गई है कि ये एक फिक्शन है या हिस्टोरिकल फिल्म है. पेपर्स अधूरे होने और फिल्म की इस जानकारी को ब्लैंक छोड़े जाने के चलते ही सेंसर ने संबंधित कागजात उपलब्ध करवाने के लिए कहा है. हैरानी की बात ये है कि इससे बाद भी सेंसर पर फिल्म के सर्टिफिकेशन को लेकर देरी करने का आरापे लगाया जा रहा है.’