एक जुलाई से वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के कारण वाणिज्य कर विभाग के प्रदेश भर में 10 हजार कर्मचारी बेकार हो गये हैं। इनमें लिपिक, स्टेनो व सेवक (चतुर्थ श्रेणी) संवर्ग के कर्मचारी शामिल हैं। जीएसटी में शत प्रतिशत कार्य ऑनलाइन होने के कारण सब काम अफसरों द्वारा किया जाएगा।
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संयुक्त संघर्ष समिति वाणिज्य कर उत्तर प्रदेश के मीडिया प्रभारी अभय कुमार सिंह ने बताया कि जीएसटी लागू होने से जो कर्मचारी प्रभावित हुए हैं उनमें 5000 लिपिक, 1500 स्टेनो और 3500 सेवक शामिल हैं।
वाणिज्य कर विभाग में लिपिक संवर्ग रिटर्न की फाइलों को सहेजने और रिटर्न को फाइल में लगाने का काम करते हैं।
वहीं, असिस्टेंट से लेकर एडिशनल कमिश्नर तक जो ऑर्डर देते हैं उसको स्टेनो टाइप करते हैं। अब ये दोनों कार्य खुद अफसरों को करना पड़ेगा।
3500 सेवक करते हैं नोटिस देने का काम
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री सुरेश सिंह यादव ने बताया कि विभाग में 3500 सेवक हैं जो अफसरों की सेवा करने के साथ ही व्यापारियों को नोटिस देने का कार्य करते हैं।
अब नोटिस को अफसर जीएसटी पोर्टल पर ऑनलाइन जारी करेंगे। कर्मचारी नेता भूपेश अवस्थी ने बताया कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में जिस कार्य को करने का अधिकार अधीक्षक को दिया गया है।
वह कार्य वाणिज्य कर विभाग में असिस्टेंट व डिप्टी कमिश्नर को दिया गया है। उन्होंने जीएसटी की नई व्यवस्था में लिपिक, स्टेनो व सेवक संवर्ग को कार्य करने का अधिकार देने की मांग की है।
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