तब अदालत ने अपने फैसले सब इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर पद पर भर्ती के लिए जारी परिणामों को मुख्य लिखित परीक्षा के स्तर से खारिज करते हुए, चयन सूची निर्धारित नियमों के अनुसार फिर से जारी करने के निर्देश दिए थे। अपने ताजा निर्णय में जस्टिस अमरेश्वर प्रताप साही और जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने कहा कि एकल पीठ के निर्णय में असफल अभ्यर्थियों के परिणाम को चुनौती देने को सही माना था।
बतातें चलें कि अखिलेश सरकार ने 4010 पदों पर सिविल पुलिस व प्लाटून कमांडरों की भर्ती प्रकिया प्रारम्भ की थी। 26 जून 2015 को उक्त चयन प्रकिया पूरी कर ली गई थी और सफल अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग पर भी भेज दिया गया था। कुछ असफल अभ्यर्थियों ने उक्त चयन प्रकिया का रिट याचिका दायर कर हाईकेार्ट में चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित करने में क्षैतिज आरक्षण का ठीक से पालन नहीं हुआ।
नियमों के अनुसार पदों के सापेक्ष तीन गुना के बजाय 5 गुना अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। जस्टिस राजन राय की सिंगल बेंच ने 24 अगस्त 2015 को उन अभ्यर्थियों की यचिकाओं पर चयन प्रकिया खारिज कर सरकार को निर्देश दिया था कि लिखित परीक्षा से भर्ती प्रकिया आगे बढ़ाकर उसे पूरा किया जाए।
एकल पीठ का निर्णय था सही :
इन अभ्यर्थियों ने चयन प्रक्रिया को नहीं बल्कि चयन के तरीके को चुनौती दी थी। ऐसे में एकल पीठ का निर्णय सही था। दूसरी ओर कुछ अभ्यर्थियों ने आपत्ति की कि प्रीलिमनिरी टेस्ट में हासिल अंकों को राउंड ऑफ करते हुए मुख्य लिखित परीक्षा की योग्यता निर्धारित कर दी गई। अभ्यर्थियों ने इस पर आपत्ति की थी कि प्रीलिमनरी टेस्ट विद्यार्थियों को आगे के राउंड में शामिल करने के लिए चयन के लिए था, जिसमें 50 प्रतिशत अंक हासिल किए जाने थे। वहीं मुख्य लिखित परीक्षा और ग्रुप डिस्कशन के अंक के आधार पर फाइनल चयन की मेरिट लिस्ट बनाई जानी थी।
गलत तरीके से दिया गया हारिजॉन्टल रिजर्वेशन :
चयन में महिलाओं, स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व सैनिक, आदि को हारिजॉन्टल रिजर्वेशन वर्ग के अनुसार दिया जाना था। पर इन्हें ओपन कैटेगरी की सीटों पर दिया गया। हाईकोर्ट ने कहा कि भर्ती बोर्ड ने इन विशेष वर्गों का चयन अपने-अपने एससी-एसटी, ओबीसी कैटेगरी में किया जाना चाहिए था।
…….