
शर्मनाक हार के बाद कप्तान विराट बोले – ‘कभी-कभी छोटी गलतियां बड़ी साबित हो जाती हैं’..
इतना ही नहीं न्यायिक जांच में दोषी मिले अफसरों के खिलाफ आपराधिक कृत्य की रिपोर्ट दर्ज कराने का फैसला भी किया गया है। योगी सरकार के इस सख्त रुख से अफसरों में खलबली मच गई है।
स्वीकृत बजट की 95 फीसदी राशि जारी होने के बावजूद 60 फीसदी काम पूरा न होने पर योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए। न्यायिक जांच में इस परियोजना को भ्रष्टाचार का पर्याय करार दिया गया।
बजट को न सिर्फ मनमाने ढंग से खर्च किया गया, बल्कि विजन डाक्युमेंट बनाने तक में करोड़ों का घपला किया गया।
इसके लिए न्यायिक जांच रिपोर्ट में परियोजना से जुड़े अधिशासी अभियंता, अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता और प्रमुख अभियंता के अलावा कई आला अधिकारियों को सीधे जिम्मेदार ठहराया गया।
इसमें राजस्व परिषद के चेयरमैन प्रवीर कुमार व अपर मुख्य सचिव, वित्त अनूप चंद्र पांडेय सदस्य और प्रमुख सचिव, न्याय रंगनाथ पांडेय भी शामिल थे। 16 जून को खन्ना कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट सीएम योगी आदित्यनाथ को सौंप दी।
खन्ना कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘न्यायिक रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया दुरभिसंधि एवं दुविर्नियोग के आपराधिक कृत्य के निष्कर्ष परिलक्षित हो रहे हैं।’ यानी, परियोजना में साठगांठ करके सरकारी धन का आपराधिक दुरुपयोग किया गया।
यहां बता दें कि अमर उजाला ने अपने 28 मई के अंक में ही इसका खुलासा कर दिया था कि खन्ना कमेटी मामले की सीबीआई जांच की संस्तुति करेगी। खन्ना कमेटी की रिपोर्ट मिलते ही सीएम ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। जल्द ही दोषी अफसरों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराने के साथ विभागीय कार्रवाई भी शुरू होगी।
1. न्यायिक जांच में जिनके आपराधिक कृत्य सामने आए हैं, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए।
2. मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए।
3. जिन्होंने (निगरानी और अनुश्रवण में) प्रशासनिक शिथिलता बरती, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए।
4. काम को समय से पूरा किया जाए। कम से कम व्यय में पूरा किया जाए और प्रशासनिक मानकों का पूरी तरह से पालन किया जाए।
 TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
				 
						
					 
						
					