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मुख्यमंत्री ने हर जिले में रोजगार के अवसर बढ़ाने और कभी जिलों की पहचान रहे उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए ‘एक जिला-एक उत्पाद योजना’ लाने की बात कही थी। रविवार को सरकार के प्रवक्ता ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन विभाग की ओर से सभी 75 जिलों के लिए चयनित एक-एक उत्पादों के लिए विशेष कार्ययोजना का खुलासा किया। इसमें हर जिले के समृद्ध शिल्प कौशल को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव है।
इस योजना के क्रियान्वयन के लिए प्रदेश स्तर पर अपर आयुक्त उद्योग की अध्यक्षता में ओडीओपी सेल का गठन होगा। इसी तरह जिला स्तर पर जिलाधिकारी की, शासन स्तर पर प्रमुख सचिव एमएसएमई और शीर्ष स्तर पर अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में शीर्ष स्तर की समिति होगी।
लखनऊ की एंब्राइडरी तो बाराबंकी का दुपट्टा बनेगा पहचान
कारीगर पीढ़ियों से स्थानीय संसाधन से कोई न कोई खास उत्पाद को तैयार कर रहे हैं लेकिन तकनीक व आर्थिक संसाधन की कमी के चलते वह बदलते बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पा रहे हैं। सरकार इस योजना के जरिये कारीगरों को नई तकनीक व आर्थिक संसाधन मुहैया कर आगे बढ़ाने का काम करेगी। लखनऊ की एंब्राइडरी तो दूर-दूर तक मशहूर है, लेकिन बहुत लोगों को एटा की घंटी, बलिया की बिंदी, बाराबंकी के दुपट्टा और सीतापुर की दरी के बारे में जानकारी नहीं होगी।
इसी तरह पीलीभीत की बांसुरी, ललितपुर की कृष्ण की मूर्ति और गेहूं के डंठल से बहराइच में बनने वाली कलाकृति स्थानीय स्तर पर पहचान रखती हैं। सरकार इस योजना के जरिये स्थानीय कलाकारों के हुनर को देश-दुनिया में पहचान दिलाएगी।
योजना के केंद्र में 4-पी
सरकार ने इस योजना के केंद्र में ‘4-पी’ को रखा है। पीपुल, प्लेस, प्रोडक्ट और प्रिजर्वेशन पर केंद्रित इस योजना से पांच वर्ष में 25 हजार करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दिलाकर हर साल पांच लाख और पांच वर्ष में 25 लाख लोगों को रोजगार दिलाने का लक्ष्य है।
ये प्रोडक्ट हैं इन जिलों की पहचान।
स्पोटर्स गुड्स तो गाजियाबाद की पहचान इंजीनियरिंग गुड्स।
अमरोहा की पहचान म्यूजिकल इन्स्ट्रूमेन्ट्स (ढोलक) और सोनभद्र की कालीन।