GST को लेकर कई तरह की बातें हुई है. मगर मोदी सरकार का 8 नवंबर 2016 को लिया गया, ऐतिहासिक निर्णय लिया तो इसकी चहुंमुखी निंदा हुई थी. आम भाषा में कहे तो नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था में डिमांड खत्म कर दी. नवंबर 2016 के बाद महीने दर महीने रिजर्व बैंक के आंकड़े गिरी हुई डिमांड दर्शाते रहे. इससे राहत केन्द्रीय बैंक को मई 2017 में मिला जब एक बार फिर कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स नोटबंदी के पहले के स्तर पर पहुंचा. इसके बाद अन्य कई अर्थ शास्त्रियों का मत GST के प्रति बदला है.
सामान्य भाषा में कहा गया कि नोटबंदी के बाद जीएसटी ने देश में डिमांड को झटका दिया है लिहाजा दोनों की फैसलों में केन्द्र सरकार की दूर्दर्शिता में कमी देखी गई थी. अब रिजर्व बैंक का ताजा कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स दिसंबर में फिर सामान्य होने का संकेत दे रहा है. हालांकि रिजर्व बैंक सर्वे के मुताबिक अभी भी देश में कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स मई 2017 के स्तर से नीचे है. लेकिन जिस तरह से दिसंबर 2017 के बाद से देश के आर्थिक आंकड़ों से सुधार देखने को मिल रहा है जानकारों का मानना है कि यह साफ संकेत है कि बहुत जल्द देश की अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी और जीएसटी की दोहरी मार का असर पूरी तरह से खत्म हो जाएगा.
अर्थव्यवस्था में गतिविधियों में तेज बने रहने का संकेत देते हुये दिसंबर माह में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि 7.1 फीसदी रही जबकि इसके विपरीत खाद्य पदार्थेां के दाम में कुछ नरमी आने से खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा जनवरी में मामूली घटकर 5.07 फीसदी रहा.
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