यह राज्य भी कतार में शामिल
इन चार राज्यों के अलावा दिल्ली, असम, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक भी 10 साल से पुराने लंबित मामलों को एक फीसदी तक कम कर लिया है। हालांकि इनमें वो केस शामिल नहीं है जो सुप्रीम कोर्ट या फिर हाईकोर्ट में चल रहे हैं।
नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड की तरफ से जारी आंकड़ों के हिसाब से पूरे देश में इस वक्त 2.54 करोड़ मामले 17 हजार से अधिक न्यायलयों में 10 साल से अधिक समय से विचाराधीन है। जिन राज्यों में सबसे ज्यादा विचाराधीन केस लंबित हैं उनमें हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, केरल और दिल्ली हैं।
लंबित केसों को निपटाने के जज द्वारा की कार्यवाही और हाईकोर्ट व सरकार के जरिए उठाए गए कदमों से न्याय मिलने में लोगों को देर नहीं लग रही है।
लोक अदालतों के जरिए निपटें ज्यादातर मामलें
इन केसों को जल्दी से निपटाने में लोक अदालतों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि कई केस इन अदालतों के जरिए ही खत्म किए हैं। अब जिला अदालतें इन लोक अदालत के माध्यम से लंबित केसों को निपटाने में लगे हैं, जहां सुलाहनामा या फिर बातचीत से केस को निपटा दिया जाता है। हालांकि ये प्रक्रिया केवल दीवानी अदालतों में अपनाई गई थी।
इन राज्यों की हालत सबसे खराब
जिन राज्यों की हालत सबसे ज्यादा खराब है उनमें गुजरात, बिहार, यूपी, ओडिशा और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। अकेले गुजरात में 10 साल से पुराने लंबित केसों की संख्या 20 फीसदी से अधिक है। वहीं ओडिशा में 17 फीसदी, बिहार में 16 फीसदी, यूपी में 13 फीसदी, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड में 12 फीसदी एवं जम्मू-कश्मीर में 11 फीसदी केस लंबित है