संपादकीय में मोदी सरकार से सवाल किया गया है कि जब पूरी दुनिया में 56 इस्लामिक देश हैं. चीन, जापान, श्रीलंका और म्यांमार बौद्ध धर्म देश हैं और अमेरिका, रूस समेत पूरा यूरोप क्रिस्चन है तो फिर भारत को हिंदू राष्ट्र कहने में कैसी शर्म?
शिवसेना के मुखपत्र में कहा गया है कि हिंदू राष्ट्र की संकल्पना के लिए लाखों हिंदू स्वयंसेवकों ने अब तक बलिदान दिया. देश का सत्यानाश ‘सेक्युलर’ यानी धर्मनिरपेक्ष शब्द ने किया है, जिसका ठीकरा हम हमेशा नेहरू के माथे फोड़ते रहे हैं.
‘सामना’ में लिखा गया है, ‘सच तो यह है की यह देश हिंदू राष्ट्र ही है. देश की आत्मा, संस्कार, संस्कृति सब हिंदुत्व का ही है. 1947 में धर्म के नाम पर पाकिस्तान का निर्माण होने के बाद बचा हुआ देश हिंदुस्तान यानी हिंदू राष्ट्र ही माना जाना चाहिए.’
शिवसेना ने कहा कि पाकिस्तान के निर्माण के बाद भी जो करीब 2 करोड़ मुसलमान बचे रह गए. उनकी खुशामद के लिए हम स्वयं को ‘धर्मनिरपेक्ष’ कहलाने में धन्य समझते रहे. उनके 2 करोड़ आज 22 करोड़ हो गए और यह 22 करोड़ धर्म के नाम पर हम पर भारी पड़ रहे हैं.
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शिवसेना के मुताबिक हिंदू राष्ट्र का मतलब ये नहीं है कि सभी लोग लुंगी और सूट-बूट छोड़कर पीतांबर पहने, चोटी-जनेऊ रखें, बल्कि वे इस मातृभूमि का वंदन करें, सामान नागरिक कानून का पालन करें, वंदे मातरम का जयघोष करें.
‘सामना’ में लिखा गया है कि अगर यह देश धर्मनिरपेक्ष ही रहेगा तो राम मंदिर का निर्माण ढोंग और गोवंश हत्या पर पाबंदी एक दिखावा और वोटों की राजनीति कहलाएगी. ‘गर्व से कहो, हम हिंदू हैं’ वालों का राज इन दिनों देश में है, फिर भी अचानक सेक्युलर कैसे हो गए? इस सरकार पर 100 करोड़ हिंदुओं को धोखा देने का मामला दर्ज होना चाहिए.