आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार 800 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। सूत्रों की मानें तो विकास कार्यों और कर्मचारियों के वेतन-भत्तों में वृद्धि पर होने वाले खर्च के लिए सरकार कर्जा लेने की तैयारी में है।
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सरकार ने दस वर्ष अवधि वाले अपने आठ सौ करोड़ के स्टॉक को बेचने का निर्णय लिया है। वित्त विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। स्टॉक को भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से बेचा जाएगा।
मुंबई में 22 अगस्त को नीलामी प्रक्रिया होगी, जिसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र से अनुमति ले ली है। सरकार का अनुमान है कि पांच सौ करोड़ के स्टॉक पर इतना ही पैसा बाजार से मिल जाएगा, जिसकी अदायगी अगस्त 2027 के बाद करनी होगी।
हिमाचल प्रदेश सरकार
वित्तीय संकट से जूझ रही सरकार के वार्षिक बजट प्लान का अधिकांश हिस्सा कर्मचारी वेतन और पेंशन में जाता है। ऐसे में विकास कार्यों के लिए सरकार को केंद्र पोषित योजनाओं या फिर कर्ज पर ही निर्भर होना पड़ता है।
इस वित्तीय वर्ष में सरकार लगभग दो हजार करोड़ से अधिक का ऋण ले चुकी है। प्रदेश सरकार के कई निगम और बोर्ड घाटे में भी चल रहे हैं, जिससे नॉन प्लान पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है।
सरकार ने नॉन प्लान के खर्च को कम रखने के लिए जो अनुबंध पर नियुक्तियां देने की नीति बनाई थी, उसमें भी बदलाव किया गया है।
नियमित कर्मचारियों की संख्या बढ़ने से सरकार पर आने वाले दिनों में आर्थिक बोझ और बढ़ेगा। इसके अलावा कर्मचारियों को चार फीसदी अंतरिम राहत और चार फीसदी डीए भुगतान अगले माह से करना है।
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