उत्तर कोरिया के खिलाफ और कड़े प्रतिबंधों की वकालत करने वाले अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नए प्रतिबंध प्रस्ताव पेश किया है उसमें अपनी मांगों को कुछ नरम किया है।
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राजनयिकों के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र में मतदान से महज 24 घंटे पहले चीन और रूस को अपने साथ लाने के लिए अमेरिका ने अपना रुख बदला है। उत्तर कोरिया द्वारा इस माह परमाणु परीक्षण के बाद उसे दंडित करने के लिए अमेरिका अंतरराष्ट्रीय मुहिम का नेतृत्व कर रहा है।
राजनयिकों ने कहा कि नये प्रस्ताव में परिसंपत्तियों को जब्त करने संबंधी बिंदु को हटा दिया गया हैै और अब दिखाई दे रहा है कि इसमें तेल को लेकर सख्ती रखी गई है। नये प्रस्ताव में उत्तर कोरिया के अन्य देशों में काम करने संबंधी प्रतिबंधों को भी नरम किया गया है। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित संदिग्ध कार्गो ले जाने पर जहाजों की जांच पर भी नरम रुख अपनाया गया है।
अमेरिका, चीन और रूस के साथ स्थायी सुरक्षा परिषद के सदस्य ब्रिटेन और फ्रांस ने भी वाशिंगटन को अपना स्पष्ट समर्थन दिया है। इस नरम रुख के पीछे सबसे बड़ा कारण उत्तर कोरिया के दो समर्थक देश रूस और चीन हैं जो क्षेत्र में किसी भी तबाही और शरणार्थियों के पलायन को लेकर चिंतित हैं।
मास्को और बीजिंग के लिए कुछ हद तक नरम पड़ने के अलावा वाशिंगटन ने उन देशों के साथ सैन्य कार्रवाई की संभावना को भी खारिज कर दिया जो उत्तर कोरिया के साथ व्यापारिक संबंध जारी रखे हुए हैं। क्योंकि उत्तर कोरिया का 90 फीसदी निर्यात चीन में होता है।
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उनके ब्रिटिश समकक्ष मैथ्यू रेक्राफ्ट ने कहा कि इस संकट को खत्म करने में कूटनीति का मौका देना जरूरी है और इसमें बदलाव के लिए हमें उत्तर कोरिया की जरूरत पड़ेगी। इसका मतलब अधिकतम दबाव है।
उत्तर कोरिया ने दी चेतावनी, अगर प्रतिबंध लगे तो अमेरिका को चुकानी पड़ेगी कीमत
अमेरिका द्वारा पेश किए गए नये प्रस्ताव से पहले उत्तर कोरिया ने अमेरिका को फिर से चेतावनी देते हुए कहा कि – संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उस पर और कड़े प्रतिबंध लगवाने का नेतृत्व करने वाले अमेरिका को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। उत्तर कोरिया पर लगने वाले कड़े प्रतिबंधों के लिए संयुक्त राष्ट्र में होने वाले मतदान में सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों के अलावा 15 अन्य देश भी हिस्सा लेंगे।
उत्तर कोरियाई विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि, अमेरिका परमाणु परीक्षण मामले को सुरक्षा परिषद में तोड़-मरोड़कर पेश कर रहा है, जबकि यह परीक्षण आत्मरक्षा संबंधी उपायों का एक हिस्सा है। प्रवक्ता ने कहा कि यदि प्रतिबंधों के जरिए उसे दबाने की कोशिश की गई तो अमेरिका को परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
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