पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द कोलिशन इयर्स’ ने कांग्रेस के कई राज खोले हैं। मुखर्जी का कहना है कि सोनिया गांधी और शरद पवार के बीच विवाद, एनसीपी का गठन और शरद का सोनिया पर टिप्पणी करना ये सब कांग्रेस पार्टी का प्रमुख बनने की महत्वकांक्षा के चलते हुआ था। आखिर क्यों बेचैन है बीजेपी? एक साल में PM मोदी का 14वां गुजरात दौरा
किताब में मुखर्जी ने 1999 में शरद पवार का पार्टी से अलग होने, सोनिया गांधी पर ‘इटेलियन ओरिजिन’ की टिप्पणी इन सभी बातों का जिक्र किया गया है। पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी के मुताबिक 1999 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार शक्ति परीक्षण में असफल हुई तो पवार ने पार्टी के संकेतों को भांप लिया था।
उन्हें इस बात का अंदेशा हो गया था कि पार्टी की कमान सोनिया गांधी के हाथों में जाने वाली है, ऐसे में वह महज एक परामर्शदाता बनकर रह जाएंगे। मुखर्जी ने कहा कि उस वक्त पवार लोकसभा में नेता विपक्ष थे, उन्हें उम्मीद थी पार्टी के सदस्य सोनिया गांधी के बजाय उन्हें चुनेंगे।
प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब में लिखा है कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद सोनिया गांधी हर मामले पर पवार के बजाय पी शिव शंकर से राय लेने लगी। सोनिया के इस रवैये के कारण ही शरद पवार ने कांग्रेस छोड़ी और गांधी पर ‘इटेलियन’ की टिप्पणी की।
उन्होंने बताया कि तत्कालीन शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने एनडीए के साथ होते हुए भी राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी का सपोर्ट किया। इसके लिए उन्हें शरद पवार ने बाल ठाकरे से मिलने की सलाह दी थी, हालांकि सोनिया गांधी प्रणब मुखर्जी और बाल ठाकरे की मुलाकात के खिलाफ थी।