यूपी में प्रचंड बहुमत के साथ आई भाजपा ने अपने कद्दावर हिंदूवादी छवि के नेता योगी आदित्यनाथ को सत्ता सौंपी। योगी बीते पांच बार से गोरखपुर सीट से सांसद हैं। सीएम की रेस में भी वह आगे रहे। जनता के साथ ही पीएम मोदी की भी पहली पसंद थे। शायद इन वजहों से ही पार्टी ने उन्हें यूपी की कमान सौंपी।
योगी के मंत्री की अफसरों को चेतावनी: सुधर जाओ, नहीं सीधे रिटायर करूंगा सीएम योगी की नई पहल मुख्यमंत्री बनने के बाद वह मोदी की तरह ही अपने तेवर बनाए हुए हैं। एक के बाद एक कई बड़े और धाकड़ फैसले भी लिए। बीती सरकार की कई परियोजनाओं की धांधली को भी खुद पकड़ा। इस बीच यूपी में कई योजनाओं को योगी आदित्यनाथ के नाम पर न रखे जाने का फैसला किया गया है।
शायद यह यूपी के इतिहास में पहली बार होगा कि राज्य के मुखिया का नाम उसी की शुरु परियोजनाओं में नहीं होगी। बीती सरकार में भी सारी योजनाओं में सपा से जुडे नाम रखे गए। माया सरकार में भी यही होता था। लेकिन यूपी में सरकार बदलने के साथ ही इतिहास भी बदल गया है।
इसके अलावा ‘समाजवादी’ शब्द से जुड़ी कई योजनाओं में उनकी जगह ‘मुख्यमंत्री’ शब्द जोड़ने का फैसला किया गया। यही नहीं बल्कि जेवर एयरपोर्ट को भी मंजूरी दे दी गई है। अखिलेश सरकार के दौर की कई सरकारी योजनाओं में समाजवादी शब्द जोड़ा गया था। मसलन समाजवादी पेंशन योजना और 108 समाजवादी एंबुलेंस सेवा। अब इनकी जगह मुख्यमंत्री शब्द इन योजनाओं के साथ जोड़ा जाएगा।