अभी अभी: सीएम योगी का बड़ा फैसला, आधुनिकीकरण योजना का लाभ ले रहे मदरसों की जाएगी जांच...

अभी अभी: सीएम योगी का बड़ा फैसला, आधुनिकीकरण योजना का लाभ ले रहे मदरसों की जाएगी जांच…

योगी आदित्यनाथ सरकार वक्फ बोर्ड व कब्रिस्तान की चहारदीवारी की जांच करवाने के बाद अब मदरसा आधुनिकीकरण योजना की भी जांच करवाने जा रही है। केंद्र सरकार की इस योजना में प्रदेश के 8969 मदरसों को आधुनिक विषय पढ़ाने के लिए अनुदान मिलता है।अभी अभी: सीएम योगी का बड़ा फैसला, आधुनिकीकरण योजना का लाभ ले रहे मदरसों की जाएगी जांच...केजीएमयू में भीषण आग के बाद परिजनों ने किया 7 लोगो की मौत का दावा, CM योगी ने दिए जांच के आदेश

इस योजना में भी सरकार के पास कई तरह की शिकायतें मिली हैं। सरकार को इसमें बड़े घपले की आशंका है। दरअसल, केंद्र सरकार मदरसों में मुस्लिम बच्चों को गुणवत्ता व आधुनिक शिक्षा देने के लिए अनुदान देती है। 

मदरसों में पारंपरिक शिक्षा के अलावा विज्ञान, गणित, भाषा व सामाजिक अध्ययन जैसे विषय पढ़ाने के लिए शिक्षकों को अनुदान दिया जाता है। मदरसों में साइंस व कंप्यूटर लैब विकसित करने के लिए भी इस योजना में पैसा दिया जाता है। 

इस योजना के तहत स्नातक शिक्षकों को भी परास्नातक शिक्षकों की तरह 15 हजार रुपये महीना मिलेगा। इस योजना के तहत वर्ष 2013 में 118 फर्जी मदरसे पकड़े गए थे। उस समय भी सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा मेरठ में हुआ था। वहां 34 मदरसे सिर्फ कागजों में चलते पाए गए थे। 

इसके बाद वर्ष 2015 में फिर मेरठ में 18 मदरसे ऐसे मिले थे जिनका अस्तित्व ही नहीं था। सरकार का मानना है कि जांच के बाद फर्जी मदरसों के बाहर होने पर उन मदरसों को इस योजना में शामिल कर लिया जाएगा जो अच्छा काम कर रहे हैं।

मदरसा आधुनिकीकरण में लाभ के लिए होता है खेल

मदरसा आधुनिकीकरण योजना का लाभ लेने के लिए ही फर्जी मदरसों का खेल रचा जाता है। शिक्षा माफिया मिलीभगत कर कागजों में मदरसा दिखाकर केंद्र सरकार से मदरसा आधुनिकीकरण योजना का लाभ लेते हैं। 

प्रत्येक मदरसे में शिक्षकों के पढ़ाने के लिए 12 हजार रुपये केंद्र सरकार देती है। जबकि इस योजना में प्रदेश सरकार भी तीन हजार रुपये प्रति शिक्षक अनुदान अलग से देती है। ऐसे में प्रत्येक शिक्षक को 15 हजार रुपये मिलते हैं। 

हाईस्कूल एवं इससे ऊपर के मदरसों में कंप्यूटर लैब विकसित करने के लिए एक लाख रुपये का अनुदान अलग से दिया जाता है। किताब व लाइब्रेरी के नाम पर भी 50 हजार रुपये सरकार से मिलते हैं।

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