डेरा सिरसा मुखी गुरमीत सिंह को कतई उम्मीद नहीं थी कि पंचकूला की सीबीआई कोर्ट का फैसला उसके खिलाफ आएगा। डेरामुखी और उसके बेहद करीबी लोगों को यह सूचना थी कि कोर्ट का फैसला डेरामुखी के पक्ष में ही रहने वाला है।बड़ी खुशखबरीः यात्रियों को ट्रेनों के ई-टिकट पर नहीं लगेगा सर्विस टैक्स
इसलिए रामरहीम बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ सिरसा से पंचकूला सीबीआई कोर्ट पहुंचा। प्लानिंग तो यह भी थी कि डेरामुखी सिरसा से पंचकूला सीबीआई कोर्ट पहुंचेंगे और वहां सीबीआई कोर्ट से बरी होने केबाद पंचकूला में ही अनुयायियों को प्रवचन देंगे। गिरफ्तारी से पहले कुछ मीडिया कर्मियों के साथ बातचीत में खुद हनीप्रीत ने ही यह बात कही है।
कई दिनों तक रही डिप्रेशन में, हिंसा तो असामाजिक तत्वों ने की : हनीप्रीत
हनीप्रीत ने कहा है कि उन्हें बिलकुल उम्मीद नहीं थी अदालती फैसला उनके खिलाफ होगा। एक माह से भी ज्यादा समय तक लापता रहने के बाद सामने आई हनीप्रीत ने माना है कि डेरामुखी ही नहीं बल्कि वह भी अदालत का फैसला सुनकर हैरान रह गए। डेरामुखी और वह यही सोचकर आए थे कि पंचकूला कोर्ट से बरी होने के बाद वह खुशी-खुशी शाम को सिरसा लौट जाएंगे। उसने माना कि अदालती फैसले के आहत होने की वजह से वह कई दिनों तक डिप्रेशन में रही। उसके अनुसार हिंसा तो असामाजिक तत्वों ने की है।
हरियाणा सरकार भी चाहती थी कि डेरामुखी खुद ही डेरे से बाहर आ जाए, क्योंकि बाबा रामपाल को डेरे से बाहर लाने के दौरान जो जद्दोजहद और बवाल हुआ, उसकी दोबारा नौबत न आए।सूत्रों के अनुसार इसीलिए डेरामुखी गुरमीत सिंह के खासमखास के जरिए ऐसा माहौल बनाया गया, जिससे डेरामुखी और उसके करीबियों को यह पक्का यकीन हो जाए कि सीबीआई का फैसला डेरामुखी के पक्ष में ही रहने वाला है। डेरामुखी इसी इनपुट के फेर में फंस गया और खुद ही डेरे से बाहर आया। दूसरी ओर, डेराप्रेमियों ने यह भी योजना बना रखी थी कि यदि फैसला उलट आता है तो पंचकूला शहर को कैसे जलाना है और साजिश के तहत उन्होंने वही किया।