बीसीसीआई के सुधारों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति (सीओए) ने बीसीसीआई के सभी स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन को ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने के निर्देश दिए हैं। ताकि इस सत्र में भारत के घरेलू मैदानों में होने वाले अंतरराष्ट्रीय मैचों के आयोजन के लिये उन्हें धनराशि आवंटित की जा सके। बता दें कि भारत को इस सत्र में कुल 23 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने हैं। इनमें 11 वनडे, 9 टी-20 और तीन टेस्ट मैच शामिल हैं। अभी-अभी: सचिन तेंदुलकर को लगा बड़ा झटका, उनके ‘आशियाने’ पर चलेगा बुलडोजर…
गौरतलब है कि कुछ स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन पहले ही सीओए को लिख चुके हैं कि उनके पास मैचों के आयोजन के लिये पर्याप्त धनराशि नहीं है। क्योंकि उन्हें बीसीसीआई से अनुदान नहीं मिल रहा है।सीओए राज्य क्रिकेट एसोसिएशंस के विद्रोही रवैए को दबाव की रणनीति मान रहा है। सीओए ने साफ कर दिया है कि लोढ़ा समिति के सिफारिशें लागू नहीं करने की स्थिति में उन्हें बीसीसीआई से कोई भुगतान नहीं मिलेगा। मैच के दौरान जो भी सेवा प्रदाता होंगे उन्हें बीसीसीआई सीधे भुगतान करेगा और यह राशि संबंधित राज्य संघ के खाते से काट ली जाएगी।
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सीओए ने कहा कि अगर बीसीसीआई के नये संविधान को लागू किया जाता है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की अध्यक्षता वाली वित्त समिति का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। सीओए ने समिति के समन्वयक – बीसीसीआई कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी को कड़े शब्दों में लिखे पत्र में उप समिति की भूमिका और कार्यक्षेत्र के दायरे के बारे में जानकारी दी। सीओए ने समिति की अपनी भूमिका के बारे में पूछे गये सवालों के संबंध में 11 बिंदुओं का खंडन जारी किया। वित्त समिति ने सभी खिलाड़ियों की आर्थिक लाभ संबंधित नीतियों जिसमें महिलाओं के केंद्रीय अनुबंध में बढ़ोतरी भी शामिल थी उसपर फैसला सुरक्षित रखा था।
मालूम हो कि बीसीसीआई की वित्त समिति ने क्रिकेटरों की वेतन वृद्धि के फैसले को सुरक्षित रख लिया था। इसका कारण यह था कि वित्त समिति के चेयरमैन ज्योतिरादित्य सिंधिया मीटिंग को बीच में छोड़कर चले गए थे। मीटिंग भारतीय महिला और घरेलू स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों के वेतन में वृद्धि के लिए आयोजित की गई थी।
बीसीसीआई के एक सूत्रों के मुताबिक समिति के चेयरमैन सिंधिया ने प्रशासकों की समिति (सीओए) की ओर से इस बारे में समिति की भूमिका को लेकर स्पष्ट निर्देश न दिये जाने से बैठक को बीच में छोड़ दिए थे। उस समय सिंधिया इस मामले को लेकर मीटिंग में मौजूद मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल जौहरी और मुख्य वित्त अधिकारी संतोष रंगनेकर पर खासे नाराज दिखे थे।