दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन पर लगी पाबंदी के मुद्दे पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को लताड़ लगाते हुए सवाल किया कि आखिर दोनों तबके के लोग एक साथ अपना त्योहार क्यों नहीं मना सकते? ध्यान रहे कि सरकार ने एक अक्तूबर को मुहर्रम होने की वजह से उस दिन प्रतिमाओं के विसर्जन पर पाबंदी लगा दी है।अभी-अभी: योगी सरकार ने 29 आईपीएस अधिकारियों का किया तबादला, देखिए पूरी लिस्ट!
पहले दशमी के दिन शाम छह बजे तक ही विसर्जन की अनुमति थी। लेकिन अदालती हस्तक्षेप के बाद सरकार ने इसे बढ़ा कर रात दस बजे कर दिया था। सरकार के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार से कहा कि जब उसे राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव होने का पक्का भरोसा है तो वह दोनों तबकों के बीच दरार क्यों पैदा कर रही है। इससे पहले बीते सप्ताह इस मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने अदालत को बताया था कि सरकार रात दस बजे तक नदी व तालाब के किनारे पहुंचने वाली प्रतिमाओं को विसर्जन की अनुमति देगी। सरकार ने बताया था कि एक अक्तूबर को मुहर्रम की वजह से बंद रहने के बाद दो से चार अक्तूबर तक प्रतिमाओं के विसर्जन की अनुमति होगी।
इससे पहले भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने सरकार के फैसले को असंवैधानिक व हिंदुओं का अपमान करार दिया था। इस पर विवाद बढ़ते देख कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन संगठनों को चेतावनी देते हुए उनसे दुर्गा पूजा के दौरान सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का प्रयास नहीं करने को कहा था।
उन्होंने भाजपा व संघ से जुडे़ संगठनों पर विसर्जन के मुद्दे पर अफवाह फैलाने का भी आरोप लगाया था। इस मामले में दायर जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि कुछ साल पहले तक विसर्जन व मुहर्रम के जुलूस एक साथ निकलते थे। लेकिन हाल के वर्षों में सरकार मुहर्रम के मौके पर विसर्जन करने पर पाबंदी लगाती रही है।