इसके साथ ही एनजीटी ने दिल्ली के पड़ोसी राज्यों यूपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान को भी फटकार लगाई और इस मुद्दे को लेकर उनकी गंभीरता पर भी प्रश्न उठाए। ट्रिब्यूनल बोली हर वैधानिक संस्था व प्राधिकरण अपनी ड्यूटी निभाने में नाकाम रहे हैं। अग प्रदूतषण की बात है तो इसमें सभी पक्षों की जिम्मेवारी साझा होती है।
एनजीटी ने ये भी कहा कि संविधान के आर्टिकल 21 और 48 के अनुसार यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वो पक्का करे कि लोगों को साफ और सुरक्षित पर्यावरण मिले। अगर लोगों को साफ पर्यावरण उपलब्ध नहीं कराया जा सकता तो उनसे जीवन जीने का अधिकार भी छीना जा रहा है।
गौरतलब है कि इस वक्त दिल्ली के कई अलग-अलग इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद चिंताजनक है। एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार पंजाबी बाग (799) सबसे ऊपर है, उसके बाद आनंद विहार (515), शादीपुर डिपो (362) और द्वारका (388) है।
प्रति मिनट 20 लीटर जहरीली हवा ले रहा इंसान
राजधानी की आबोहवा दूषित होने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। साथ ही, बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दिल्ली और एनसीआर को अगले तीन दिन तक बंद रखने की मांग भी की है।
आईएमए अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि घर में रहते हुए कोई भी इंसान प्रति मिनट 6 लीटर हवा अपने अंदर लेता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी इससे सहमत है। घर से बाहर निकलते ही शारीरिक गतिविधि बढ़ने से इंसान प्रति मिनट 20 लीटर हवा को श्वास के जरिये ग्रहण करने लगता है।
स्मॉग, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड की मौजूदगी के कारण सांस से संबंधित समस्याओं में इजाफा हो रहा है, जो आम बात नहीं है। सरकार को तत्काल ठोस कदम उठाना होगा।
इन उपायों का दिया सुझाव
आईएमए ने लोगों से प्रदूषण कम करने के उपाय अपनाने की अपील की है। इसके तहत, आसपास के बाजार आने-जाने के लिए साइकिल का प्रयोग, वाहन सीमित चलाना, लंबी यात्रा के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल, डीजल गाड़ियों को खरीदने से दूरी बनाने, घर में अगरबत्ती न जलाने, धूम्रपान छोड़ने, पौधरोपण करने, पार्टियों के लिए बाहर न निकलने, पर्यावरण को लेकर कानूनों का पालन करना शामिल हैं।
यूं कम कर सकते हैं प्रदूषण
डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण कम करने के लिए लोगों को भी आगे आना चाहिए, क्योंकि इसका जिम्मेदार समाज ही है। लोगों को अपने घरों में तुलसी और एलोवेरा के पौधे लगाने चाहिए। इससे प्रदूषण के कण निष्क्रिय हो जाते हैं।
शरीर पर प्रदूषण का सीधा असर
फेफड़े : बारीक जहरीले कण हमारे फेफड़ों तक पहुंचते हैं तो उनके काम करने की क्षमता प्रभावित होने लगती है।
रक्त : ये कण रक्त प्रवाह को प्रभावित कर रहे हैं। इससे थक्का जमने की शिकायत हो सकती है।
मस्तिष्क : जहरीली हवा से स्ट्रोक जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
प्रजनन : इससे महिलाओं में गर्भपात, समय से पूर्व जन्म और भ्रूण के विकास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
वहीं, दिल्लीवालों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए डीएमआरसी/डीटीसी पीक फ्रिक्वेंसी पर चलेंगी। दूसरी तरफ, सभी तरह की निर्माण गतिविधियां रोक दी गई हैं। आवश्यक वस्तुएं लाने वाले को छोड़कर सभी ट्रकों का प्रवेश भी बंद कर दिया गया है।
एलजी ने बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन, पर्यावरण विशेषज्ञों, दिल्ली सरकार, डीडीए, डीएमआरसी, एनडीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वायु प्रदूषण को संभालने के लिए उच्च स्तरीय बैठक की। इसमें तात्कालिक उपायों पर फैसला लिया गया।
इस दौरान आईआईटी दिल्ली की उस रिपोर्ट का जिक्र हुआ, जिसमें कहा गया है कि जाड़े में करीब 36 फीसदी पीएम 2.5 वाहनों से होता है। ईपीसीए ने पहले ही पार्किंग शुल्क चार गुना बढ़ाने की सिफारिश की थी।
इसके आधार पर उपराज्यपाल ने फैसला लिया कि दिल्ली की सभी पार्किंग का शुल्क चार गुना बढ़ा दिया जाए। उपराज्यपाल ने तीनों नगर निगमों, डीडीए व डीएमआरसी को निर्देश दिया है कि वह पार्किंग चार्ज बढ़ा दें।
सभी एजेंसियां बृहस्पतिवार से इस आदेश को लागू करेंगी। दूसरी तरफ, निजी वाहनों की संख्या कम होने से सड़कों पर लोगों की बढ़ने वाली भीड़ से निपटने के लिए आदेश दिया गया है कि डीटीसी व डीएमआरसी फुल फ्रिक्वेंसी में अपने बेड़े को चलाएं।
– शहर में सिविल निर्माण से जुड़ी सभी गतिविधियां अगले आदेश तक बंद रहेंगी। नगर निगम, डीपीसीसी व सभी एजेंसियां इस आदेश को लागू करेंगी।
– एमसीडी व पीडब्ल्यूडी मैकेनिकल रोड स्वीपिंग व पानी के छिड़काव में तेजी लाएंगे।
– नगर निगम होटल और भोजनालयों में फायरवुड और कोयले को जलाने पर रोक लगाएगा।
– नगर निगम, डीपीसीसी और उद्योग विभाग पेटकॉक और फरनेस आयल सख्ती से रोकेंगे।
– डीपीसीसी, एसडीएम, नगर निगम और उद्योग विभाग जेनरेटर पर रोक लगाएं। (इसमें डीपीसीसी द्वारा जारी किए गए कुछ जरूरी कार्य शामिल नहीं होंगे)
– ट्रैफिक पुलिस सभी हाट स्पॉट पर प्रबंधन दुरुस्त करेगी। ट्रैफिक पुलिस की अधिकतम तैनाती।
– नगर निगम, डीडीए और एसडीएम खुले में आग लगाने से रोकने के उपाय करेंगे।
– एमसीडी, डीपीसीसी व पीडब्ल्यूडी ऐसी सभी निर्माण एजेंसियों को दंडित करेंगे, जहां धूल नियंत्रण के उपाय अपर्याप्त हैं।
– शिक्षा विभाग सभी अभिभावकों के लिए अपील जारी करेगा, ताकि बच्चों की बाहरी गतिविधियां को रोका जाए।
– परिवहन विभाग ऑड-ईवन योजना की तैयारी शुरू करेगा।