अभी-अभी: PM मोदी का नमामि गंगे अभियान पर CAG ने उठाए ये सवाल.....

अभी-अभी: PM मोदी का नमामि गंगे अभियान पर CAG ने उठाए ये सवाल…..

पीएम मोदी का नमामि गंगे अभियान रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। संसदीय समिति के बाद अब भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक(सीएजी) ने भी पीएम मोदी के स्वप्निल नमामि गंगे अभियान पर बड़े सवाल उठाए हैं। सीएजी ने कहा है कि धनराशि खर्च करने के मामले में एनएमसीजी फिसड्डी साबित हुआ है।अभी-अभी: PM मोदी का नमामि गंगे अभियान पर CAG ने उठाए ये सवाल.....

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एनएमसीजी के बीते तीन वर्षों के लेखा-जोखा का अध्य्यन करने के बाद सीएजी इस नतीजे पर पहुंचा है कि गंगा स्वच्छता के लिए आवंटित धनराशि में से महज 8 से 63 प्रतिशत ही खर्च हो सकी है। इसके अलावा सीएजी ने आवंटित राशि के सही ढंग से खर्च न हो पाने और उसका लेखा परीक्षा न करा पाने को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। 

पैसे खर्च करने में फिसड्डी रहा एनएमसीजी
सीएजी ने नमामि गंगे अभियान के अध्य्यन के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 10 जुलाई 2014 को अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने नमामि गंगे के लिए 2037 और घाटों के सौंदर्यीकरण के लिए 100 करोड़ की अतिरिक्त राशि का प्रावधान किया था। सक्षम प्राधिकारी के जरिए प्रस्ताव लाने में देरी के वजह से एनएमसीजी उस वित्तीय वर्ष (2014-15) में इस राशि का उपयोग नहीं कर सका था।

तथा एमएसीजी को केवल 326 करोड़ ही मिले। इसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नमामि गंगे कार्यक्रम के लिए 20,000 करोड़ के उपयोग की मंजूरी प्रदान की। वर्ष 2015-16 के तहत 3205 करोड़ मिले जबकि वास्तविक खर्च 602.60 करोड़ रहा। वर्ष 2016-17 में 3500 करोड़ मिले जिसमें वास्तविक खर्च 1062.81 करोड़ रहा।

वर्ष 2017 से 2020 तक के लिए सरकार ने 13,295 करोड़ का प्रावधान रखा है। मगर खर्च की रफ्तार पर चिंता जताते हुए सीएजी ने कहा है कि एनएमसीजी निर्धारित समय अवधि में राशि का व्यय नहीं कर सका जोकि परियोजना की योजना एवं इसके कार्यान्वयन में देरी को दर्शाता है।

लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने गंगा स्वच्छता को बनाया था चुनावी मुद्दा 
भाजपा ने बीते लोकसभा चुनाव में गंगा स्वच्छता को बड़ा मुद्दा बनाते हुए चुनाव में इसे बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया था। केंद्र में सरकार बनने के बाद पीएम मोदी ने न सिर्फ नमामि गंगे अभियान की शुरूआत की। बल्कि उसके अगले वर्ष गंगा स्वच्छता के लिए 20,000 करोड़ रूपए की राशि भी मंजूर कर दी।

इसके बाद अलग से गंगा प्राधिकरण भी बनाया गया है। बावजूद उसके गंगा स्वच्छता की रफ्तार बेहद सुस्त है। वर्ष 2015 ने संसदीय समिति ने नमामि गंगे अभियान की सुस्ती पर सवाल भी खड़े किए थे। तब सरकार थोड़ी सक्रिय जरूर नजर आई। लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात सरीखे रहे हैं।

अब सीएजी ने आवंटित धनराशि खर्च न किए जाने और खर्च राशि का हिसाब-किताब ठीक से न रखने को लेकर एनएमसीजी पर सवाल उठाए हैं। इससे मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। संसद का शीत सत्र चल रहा है विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेर भी सकता है। वैसे ही विपक्ष का आरोप रहता है कि मोदी सरकार बातें ज्यादा और काम कम करती है। अब सीएजी के सवाल भी विपक्ष के आरोपों की पुष्टि कर रहे हैं। 

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