नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद हो रही परेशानियां अब कम होने की कगार पर हैं। रिजर्व बैंक ने बुधवार को रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है।
बैंक ने बुधवार को अपनी मौद्रिक समीक्षा बैठक में ऐलान किया कि रेपो रेट दर 6.25 ही रहेगी उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। बता दें कि रेपो रेट दर में कोई बदलाव नहीं होने के कारण लोन ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं होगा। आपको सस्ती दरों पर ही लोन मिलेगा। इससे पहले आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली कमेटी से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को किए गए 500, 1000 रुपए के नोट बंद करने के फैसले से भारत कैश-आधारित अर्थव्यवस्था को चोट पहुंची है। ऐसे में अगर 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती भी करता है तो रेपो रेट करीब 6 प्रतिशत कम हो जाएगा, जो कि सितंबर 2010 के बाद का न्यूनतम स्तर होगा।
रेपो रेट में कटौती से ग्राहकों के लिए ईएमआई कम हो सकती है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि नोटबंदी का असर 2018 तक बरकरार रह सकता है। इसलिए वित्त क्षेत्र के एक्सपर्ट्स की नजरें बचे हुए वित्तीय वर्ष के लिए आरबीआई के ऐलान पर रहेंगी। अगर आरबीआई दरों में कटौती करता है तो यह अर्थव्यवस्था को समर्थन देने की केंद्रीय बैंक की प्रतिबद्धता दर्शाएगा। जुलाई और सितंबर के बीच हमारी अर्थव्यवस्था 7.3 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी है। वैश्विक स्तर पर तेज की कीमतें 30 नवंबर के बाद से तेजी से बढ़ी हैं। ओपेक देशों ने ने उत्पादन कम करने का ऐलान कर दिया है। इसके घरेलू वृद्धि पर असर को लेकर आर्थिक विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है।
सेंसेक्स बुधवार को शुरूआती कारोबार में 77 अंक चढ़ गया। मौद्रिक नीति की समीक्षा में दरों में कटौती की उम्मीद और स्थिर वैश्विक संकेतों के बीच निवेशकों के बीच लिवाली का दौर चलने से शेयर बाजार में तेजी देखी गई। इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपया के मजबूत रहने से भी शेयर बाजार को समर्थन मिला है।