पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा की गई सभी भर्तियों की जांच सीबीआई से कराने के लिए प्रोफार्मा केंद्र सरकार को भेज दिया गया है।
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सचिव गृह मणि प्रसाद मिश्रा ने बताया कि 1 अप्रैल 2012 से लेकर 31 मार्च 2017 तक हुई यूपीपीएससी की सभी परीक्षाओं की जांच सीबीआई से कराने का सरकार ने निर्णय लिया था और कैबिनेट से इसे मंजूरी भी मिली थी।
आयोग की ओर से कराई गई भर्ती की जांच सीबीआई से कराने के लिए 25 जुलाई को कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। विधानसभा में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पांच साल के दौरान यूपीपीएससी की ओर से की गई भर्ती की जांच सीबीआई से कराने की बात कही थी।
आरोप है कि सपा की सरकार के दौरान वर्ग विशेष को खास तवज्जो देते हुए भर्ती की गई। अब गेंद सीबीआई के पाले में है।
पूर्व की सिफारिशों पर अभी नहीं हुआ निर्णय
प्रदेश सरकार इससे पहले भी रिवर फ्रंट और दिल्ली-सहारनपुर-यमुनोत्री मार्ग में हुए घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर चुकी है। लेकिन सीबीआई की ओर से जांच अभी शुरू नहीं की गई और न ही जांच टेकअप की गई। मौजूदा सरकार की चार माह में यह चौथी सिफारिश है।
सरकार ने आईएएस अफसर अनुराग तिवारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की जांच सीबीआई को सौंपी थी। मामला दो राज्यों से जुड़ा होने के कारण सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ले ली, जिसकी तफ्तीश जारी है।
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