भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह वीरवार के दौरे में पंजाब में आने वाले समय में गठबंधन की राजनीति को नई दिशा दे गए हैं। अकाली नेताओं के साथ शाह की मुलाकात तो एक बहाना थी, इसकी आड़ में शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव का एजेंडा लगभग सेट कर दिया है। दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक में इस बात की सहमति भी बनी है कि पंजाब की 13 और चंडीगढ़ की एक सीट मिलाकर कुल 14 सीटों में कुछ पर अदला-बदली की जा सकती है। भाजपा की ज्यादा सीटों की मांग और किन-किन सीटों पर अदला-बदली होनी है, यह कोआर्डिनेशन कमेटी तय करेगी।
अकाली दल से भाजपा मांग सकती है चार से ज्यादा सीटें, पंजाब में अभी भाजपा के खाते में हैं तीन लोस सीटें
अमित शाह व प्रकाश सिंह बादल की मुलाकात और बैठक के दौर में तमाम मुद्दों के साथ-साथ वोट बैंक के गणित को नए सिरे से समझने को लेकर दोनों दलों के नेताओं ने सहमति जताई है। बैठक में मौजूद रहे कुछ नेताओं ने इसकी पुष्टि भी की है। शाह ने पंजाब व देश के कौन-कौन से निगेटिव व पाजिटिव मुद्दे हो सकते हैं, उन्हें गंभीरता से सुना। खासतौर पर हाल ही में मेघालय में सिखों पर हुए हमले को लेकर केंद्र सरकार के हस्तक्षेप करने और पंजाब में कौन-कौन से मुद्दों पर विरोधी दल भारी पड़ सकते हैं, इसकी भी जानकारी जुटाई गई।
सीटों की अदला-बदली में जालंधर, लुधियाना, अमृतसर व गुरदासपुर की सीटों पर विचार किए जाने के संकेत बैठक में मिले हैं। इनमें अमृतसर की सीट का पेंच फंस सकता है। भाजपा इसे छोड़ना नहीं चाहती है और अकाली दल इस पर नजरें गड़ाए बैठा है। नवजोत सिंह सिद्धू ने भाजपा से इस सीट पर चार बार जीत हासिल की थी। उसके बाद से दो बार कांग्रेस का कब्जा इस सीट पर चला आ रहा है।
अकाली दल के साथ विचार-विमर्श करने के बाद पंजाब की कांग्रेस सरकार को उन्हीं के घर में घेरने की रणनीति शाह ने बैठे-बैठे तय कर दी। केंद्र सरकार द्वारा गरीबों के पांच रुपये तक के हेल्थ इंश्योरेंस की स्कीम का लाभ पंजाब सरकार द्वारा न देने के मामले को शाह ने गंभीरता से लिया है। पंजाब सरकार इस स्कीम को पंजाब में शुरू करने के मूड में नहीं है।
कांग्रेस सरकार का तर्क है कि पंजाब में पहले से ही इस प्रकार की स्कीम राज्य सरकार के स्तर पर चलाई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर पंजाब सरकार को घेरने की रणनीति तय करने के बाद फैसला किया गया कि अगर पंजाब सरकार इस स्कीम को पंजाब में नहीं चलाती है तो केंद्र सरकार अपनी तरफ से भी स्कीम चला सकती है।
स्कीम के तहत 65 फीसद धनराशि केंद्र सरकार ने तो 35 फीसद पंजाब सरकार ने देनी है। रणनीति तय की गई कि अगर पंजाब सरकार अपने हिस्से की 35 फीसद धनराशि नहीं देती है तो केंद्र अपने हिस्से की 65 फीसद धनराशि के साथ ही स्कीम को पंजाब में गरीबों के लिए लांच कर देगा। कार्ड भी केंद्र सरकार ही बनवाएगी। शाह की इस रणनीति से अकाली-भाजपाइयों के चेहरे खिल गए। पिछली सरकार में प्रकाश सिंह बादल ने इस स्कीम को शुरू करने को लेकर काफी कवायद की थी।
अमित शाह बोले- अकाली बड़े भाई, गठबंधन को मजबूत करो
भाजपा नेताओं के साथ हुई बैठक में शाह ने सुनी कम और भाजपाइयों को सुनाई ज्यादा। उन्होंने लोकसभा चुनाव जीत का मंत्र दिया और कहा कि अकाली दल के साथ दशकों पुराना गठबंधन है। वह बड़े भाई जैसा है। गठबंधन को मजबूत करें और काडर को बड़ा करें। शाह ने करीब पौने दो घंटे में भाजपाइयों को लोकसभा चुनाव की जीत का रूट मैप समझाया। इससे पहले वरिष्ठ नेताओं के स्तर पर गठबंधन के गिले-शिकवे उन्होंने बादल के साथ मुलाकात में ही दूर करवा दिए थे।
बैठक व भाेजन पर खूब चली सियासी कूटनीति
अमित शाह के साथ बैठक व खाने पर अकाली-भाजपा नेताओं की मौजूदगी में जमकर सियासी कूटनीति चली। तमाम मुद्दों को दोस्ताना अंदाज में शाह के सामने पेश करके अकाली नेताओं ने इस बात का संकेत देने की कोशिश की कि पंजाब में अभी भी अकाली दल की मौजूदगी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
भाजपा के आधा दर्जन पूर्व प्रदेश प्रधानों के साथ पहुंचे शाह ने भी अकालियों को इस बात का भरोसा दिलाया कि गठबंधन को पहले से और अधिक मजबूत करके पंजाब व देश के हित में काम करना है। भाजपाइयों ने भी पिछली सरकार में खुद की अनदेखी के मुद्दे को अकालियों की स्टाइल में ही उठाकर कई मोर्चों पर काउंटर भी किया।
नहीं जाने दिया राकेश राठौर को
बादल के घर शाह के साथ पहुंचे प्रदेश महासचिव राकेश राठौर को सुरक्षा कर्मियों ने अंदर नहीं जाने दिया। विजय सांपला की गाड़ी भी सुरक्षा कर्मियों ने रुकवा ली। इसके बाद सांपला पैदल ही बादल के निवास स्थान की तरफ निकल गए। वहीं मनोरंजन कालिया, मदन मोहन मित्तल, प्रोफेसर राजिंदर भंडारी, कमल शर्मा व तरुण चुघ को भी सुरक्षा कर्मियों ने पैदल ही जाने दिया।
अकाली-भाजपाइयों ने कहा- बरकरार रहेगा गठबंधन
भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रधान अविनाश राय खन्ना, विजय सांपला, राष्ट्रीय सचिव तरुण चुघ, मनोरंजन कालिया, कमल शर्मा, शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया, सिकंदर सिंह मलुका आदि ने एक सुर में अलग-अलग बयानों के जरिए कहा कि गठबंधन को कोई खतरा नहीं हैं। गठबंधन बरकरार रहेगा। शाह का दौरा कामयाब रहा है।
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