अमेरिका ने पाकिस्तान को दिए जाने वाले आर्थिक मदद पर यह कहते हुए रोक लगा दी है कि वह हमसे मदद ले रहा है और अपने यहां आतंकवादियों को पनाह दे रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने ट्वीट में पाकिस्तान धोखेबाज और झूठा तक करार दिया.
अमेरिका ने पाक को 25 करोड़ 50 लाख डॉलर की सैन्य मदद पर रोक तो लगा दिया है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर किस पर पड़ेगा पाकिस्तान या अमेरिका पर, अभी यह कहना आसान नहीं होगा लेकिन अभी के हालात पर देखा जाए तो पाकिस्तान को फायदा मिलता दिख रहा है.
आंकड़ों पर नजर डाले तो बराक ओबामा के शासनकाल से ही अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद पर कमी लानी शुरू कर दी थी. 7 साल पहले 2010 में अमेरिका ने सुरक्षा के लिए पाकिस्तान को 1.24 अरब डॉलर की मदद दी, 2016 तक आते-आते यह मदद घटकर 31 करोड़ 60 लाख डॉलर तक हो गई. इस बार अमेरिका ने 25 करोड़ 50 लाख डॉलर की जो सैन्य मदद मदद रोकी है वो पिछली बार से भी कहीं कम है.
हालांकि संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली का कहना है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान की सहायता राशि रोकने के लिए पूरी तरह तैयार है. अमेरिका पाक को दिए जाने वाले मदद के सभी आर्थिक रास्ते बंद करना चाहता है.
अफगानिस्तान में फंसा अमेरिका
अमेरिका के पाकिस्तान को मदद देने के पीछे अफगानिस्तान में जारी आतंकवाद, अलकायदा और तालिबान पर अंकुश लगाने की योजना थी. 9/11 की घटना के बाद 2001 में अमेरिका ने अफगानिस्तान में प्रवेश किया, तब उसे ब्रिटेन और कनाडा समेत 40 देशों का समर्थन भी हासिल था. उसने ऑपरेशन इन्डूयरिंग फ्रीडम-अफगानिस्तान (2001-14) के नाम से यहां पर जारी आतंक के खिलाफ युद्ध छेड़ा. फिर 2014 के बाद सहयोगी देशों और संगठन के हटने के बाद भी वह वहां बना रहा. इस अभियान में अमेरिका ने पानी की तरह पैसा खर्च किया और 500 अरब डॉलर से ज्यादा पैसा खर्च हो गए. इस संघर्ष में 50 हजार से ज्यादा जानें भी गईं.
अमेरिका आतंक के गढ़ अफगानिस्तान में पाकिस्तान की मदद से अपने कार्रवाई को अंजाम दिया करता था. यह अलग बात है कि कई खूंखार आतंकियों को पाक ने अपने यहां पनाह भी दी. मई, 2011 में अमेरिका ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में छिपे आतंकी ओसामा बिन लादेन को घुसकर मार गिराया. इस अभियान के लिए उसने पाकिस्तान को भी साझे में नहीं लिया.
अमेरिका इसी आर्थिक सैन्य मदद के नाम पर पाकिस्तान से अपने काम करवाता था. अमेरिका आज भी अफगानिस्तान में आतंक के खात्मे और शांति बहाली के प्रयास में जुटा हुआ है. इस अभियान में उसे अफगानिस्तान के पड़ोसी देश पाकिस्तान से मदद लेनी ही पड़ेगी. अगर पूरी तरह से मदद न सही तो भी उससे इस बात का पक्का आश्वासन लेना पड़ेगा कि अफगानी आतंकियों को वह अपने यहां पनाह नहीं देगा.
चीन बनेगा मददगार
अब जब अमेरिका ने सख्त तेवर दिखाते हुए पाकिस्तान पर सैन्य मदद रोक दी है और वह भविष्य में सभी तरह की मदद पर रोक लगाने की सोच रहा है. तो उसे यह देखना होगा कि अमेरिका से दूर इस देश में अपने मिशन को अब कैसे अंजाम देगा.
दूसरी ओर, अमेरिका पाकिस्तान और अफगानिस्तान को मदद दिए जाने के नाम पर दक्षिण एशिया में अपनी पहुंच बनाए रखता था, अब वह पाकिस्तान से मदद के नाम पर उससे कुछ भी कराना संभव नहीं हो सकेगा. फिलहाल पाकिस्तान जिस तरह से तेवर दिखा रहा है उससे लगता है कि वह अमेरिका की मदद न करे. अफगानिस्तान में अमेरिका की स्थिति बहुत अच्छी है भी नहीं.
वहीं, अमेरिका से मदद नहीं मिलने के बाद पाकिस्तान चीन की तरफ रूख करेगा. चीन ने हमेशा से पाक का साथ दिया है और इस मोर्चे पर भी उसका पूरा साथ देता दिख रहा है. इस समय अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में चीन ही वह देश है जो अमेरिका को कड़ी चुनौती दे रहा है. तो इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस प्रतिबंध से पाकिस्तान को कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि वो दो मायनों में फायदे में ही दिख रहा है. पहला अमेरिका के दबाव से मुक्ति मिल जाएगी. दूसरा अपने यहां आतंकियों को पनाह देने से रोकने वाला कोई नहीं होगा. चीन उसे ऐसा करने से नहीं रोकेगा क्योंकि उसे मालूम है कि पाक के जरिए इन आतंकियों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा सकेगा.