उप समितियों की बैठक का यह कदम खासा अहम माना जा रहा है क्योंकि तीन महीने पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण एशियाई नीति का ऐलान किया था।
सांसद टेड योहो ने संसदीय उपसमितियों की प्रस्तावित बैठकों का हवाला देते हुए कहा कि दक्षिण एशिया में स्थायित्व लाने के लिए अमेरिकी-पाकिस्तानी के बीच सकारात्मक रिश्ते जरूरी हैं। लेकिन आतंकवादियों को पनाह न देने के वादे न निभाने से पाकिस्तान पर संदेह बरकरार है।
उन्होंने बताया कि 8 नवंबर को संसद की विदेश मामलों की एशिया और प्रशांत, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका की उप समितियां राष्ट्रपति की अफगानिस्तान से संबंधित योजनाओं पर सुनवाई करेगी।
इस सुनवाई में उप समितियां अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अमेरिका के सैनिक अभियान से इतर नागरिक प्रयासों पर बातचीत होगी। साथ यह इस बात पर विचार किया जाएगा कि ये नागरिक प्रयास ट्रंप की अफगानिस्तान नीतियों से कैसे मेल खाएंगी।
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